रविवार, 29 सितंबर 2019

पंथ श्री प्रकाशमुनि नाम साहब मेरे परमात्मा...💐

अक्सर लोग कहा करते हैं कि हर व्यक्ति के अंदर परमात्मा होता है, लेकिन अज्ञानतावश वह अपने भीतर के परमात्मा से अंजान रहता है। यह भी कहा जाता है आत्मा ही परमात्मा है। अपने आप से जुड़ने पर, अपने आत्मा का साक्षात्कार करने पर खुद के भीतर उपस्थित परमात्मा तत्व से परिचय प्राप्त हो जाता है।

लेकिन मैं लंबे समय से दुविधा में हूँ। मुझे ऐसा नहीं लगता कि आत्मा ही परमात्मा है। अभी तक मैं यही मानता हूं कि परमात्मा कोई और है, कोई और ही तत्व है, जो अपने से अलग है, अपने से जुदा और भिन्न है।

चूंकि जिनकी नाद कानों में पड़ती है, जिनकी मधुर आवाज हृदय में उतरती है, जो इन आँखों से जगत के सतरंगी दृश्य दिखाते हैं, जो हर पल साथ चलते हैं, परछाई बनकर पीछा करते हैं, वो तो साहब ही हैं। इसलिए साहब ही परमात्मा हैं, उनके अलावा किसी और को परमात्मा मानने से मेरा मन इंकार कर देता है। स्वयं के अंदर परमात्मा तत्व के होने की बात मुझे समझ में नहीं आती।

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साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...