बुधवार, 26 अक्तूबर 2022

साहब का लॉकेट ...💐

कबीर प्रगटोत्सव पर एकोत्तरी चौका में शामिल होने, साहब से पान परवाना और प्रसाद प्राप्त करने दामाखेड़ा गया हुआ था। तो याद आया कि बच्चों ने गले में साहब की लॉकेट धारण कर रखे हैं वो मटमैले हो चुके हैं। तो प्रचार केंद्र से साहब के दो लाकेट ले आया था। उनकी मम्मी ने दोनों बच्चों को पहना दी थी।

आज सोते वक्त छोटी बिटिया मेरे बिस्तर पर आकर लेट गई। लॉकेट दिखाते हुए पूछने लगी- पापा ये कौन हैं? तो मैंने उत्तर दिया कि ये साहब हैं, उन्होंने ही तुम्हें हमारे पास भेजा है, वो हम सबके बेस्ट फ्रेंड हैं। उसने पूछा कि हम ये साहब की माला क्यों पहनते हैं? चूंकि वो स्कूल जाते वक्त रोज रोती है, स्कूल जाने से डरती है, तो मैंने उत्तर दिया कि साहब स्कूल जाने की ताकत देते हैं। जब सुबह स्कूल जाओ और डर लगे तो साहब के लॉकेट से हिम्मत मांगो, वो डर को फुर्र कर देंगे। वो हमें ताकतवर बनाते हैं। इसलिए हम साहब की माला पहनते हैं।

फिर वो पूछी की साहब क्या सच में मेरी मदद करेंगे? तो मैंने उत्तर दिया- साहब तुम्हारे लिए स्कूल में बहुत सारे फ्रेंड बनाएंगे, टीचर्स तुम्हें खूब सारा प्यार करेंगे, स्टार मार्क देंगे, साहब तुम्हें गुडगर्ल बनाएंगे, तुम्हें जल्दी से दीदी जितनी बड़ी कर देंगे, रोज स्कूल जाएगी तो ढेर सारा चॉकलेट भी देंगे, खिलौने भी देंगे। वो बड़ी खुश हो गई, चेहरे पर हिम्मत भरी मुस्कान खिल गई।

फिर उसने लाकेट को दिखाते हुए पूछा कि साहब के कमरे का कलर ग्रीन है क्या? साहब को ग्रीन कलर पसंद है? पर मुझे तो ब्लू, पिंक, पर्पल पसंद हैं। बच्चे ऐसे अनेकों सवाल करते हैं, जिज्ञासा करते हैं। आप सबसे इस संबंध में मार्गदर्शन चाहता हूँ कि आपके छोटे नन्हे बच्चे जब साहब के बारे में प्रश्न करते हैं तो आप उन्हें कैसे संतुष्ट करते हैं? कृपया मेरा मार्गदर्शन करें।

साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...