मैं भु-दान और आश्रम व्यवस्था के खिलाफ हूँ। अगर कोई भक्त अपनी जमीन, खेत, घर आदि किसी संस्था, संत, आध्यात्मिक गुरूओं को दान करता है तो अधिकतर मामलों में उस गांव में आश्रम खोल दिया जाता है तथा व्यवस्था चलाने के लिए पुजारी, सेवक की नियुक्ति की जाती है। और यहीं से शुरू होता है अपराध और अनैतिक कर्मो का सिलसिला।
इसका हल मैं लम्बे समय से खोज रहा हूं की आश्रमों की अनैतिक और आपराधिक गतिविधियों पर कैसे रोक लगाई जाए। क्या आपके पास आश्रमों में होने वाले अपराधों और अनैतिक कर्मो को रोकने के लिए कोई सुझाव या हल है जो मेरी बुद्धि में उपजे सवालों को सुलझा सके?