जब कभी भीतर गहरी चुप्पी में उतरकर उन्हें देखता हूँ, हर बार वो कोई न कोई नई बात बता जाते हैं, कानों में धीरे से कोई नई कहानी कह जाते हैं। ये उनकी कृपा रूपी अमृत वर्षा मुझे और गहरे उतरने की प्रेरणा देते हैं।
आंखें खुली हो या बंद, बस उन्हें देखना चाहता हूं, उन्हें जीना चाहता हूँ। उनके बगैर जीना व्यर्थ लगता है। वो हैं तो मैं हूँ, वो हैं तो जीवन में नुतनपन है, वो हैं तभी जीवन में रवानगी है। उनसे अलग हो पाना अब संभव ही नहीं है। मेरे इस वीरान से जीवन को अपनी अनुभूति से सराबोर करने के लिए, सफर पर मेरे साथ साथ चलने के लिए और अनजानी राहों में मेरा हाथ थामने के लिए शुक्रिया। शुक्रिया साहब ...💐