आध्यात्मिक ज्ञान तो दूर की बात है, पहले भौतिक ज्ञान तो समझ लें। सामान्य व्यक्ति का पेट जब भर जाता है तभी वह कुछ और करने लायक होता है। मैं तो इस विचार का समर्थक हूँ कि बच्चों को अच्छी शिक्षा, अच्छी तालीम दिया जाना चाहिए न कि बचपन से आध्यात्मिक ज्ञान थोपा जाना चाहिए। जैसा हम अधिकतर करते हैं।
ध्यान रखिए, संस्कार देना और आध्यात्मिक ज्ञान ठूंसने में सूक्ष्म अंतर है। साहब ने भी कहा था एक बार की बच्चे जब बड़े हो जाएं तभी उन्हें दीक्षा दिलाया जाए। मुझे साहब का यह तर्क बहुत अच्छा लगा।