शुक्रवार, 27 सितंबर 2019

सद्गुरु कबीर और धर्मनि आमीन...💐

सद्गुरु के चरण जब आमिन माता और धनी धर्मदास साहब के आँगन में पड़ते हैं तो उनके हृदय के भाव आँसुओ के रूप में छलक पड़ते हैं। न जाने वह कैसा समर्पण रहा होगा, न जाने उनकी भक्ति की पराकाष्ठा कैसी रही होगी। सद्गुरु से ऐसा प्रेम आमिन माता साहिबा और धनी धर्मदास साहब जैसे गृहस्थ ही कर सकते हैं।

सद्गुरु के प्रति उनके गहरे भाव, उनका अनुराग, उनका समर्पण शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। जब भी सद्गुरु कबीर और धर्मनि आमीन के गहरे आत्मीय संबंधों की कल्पना करता हूँ, सिहर उठता हूँ, तिलमिला जाता हूँ।

उनका सद्गुरु के प्रति भाव, उनका सद्गुरु के प्रति आश्रित जीवन सोचने पर विवश कर देता है कि मेरा जीवन कहाँ है? क्या मैं उनके मार्ग पर चल रहा हूँ? क्या मैं उनकी तरह सद्गुरु के चरणों में जीवन रख सकता हूँ? और मेरा उत्तर "न" में आता है।

चूँकि हम सद्गुरु कबीर और धर्मनि आमीन की परंपरा को अपना आदर्श मानते हैं, उनका अनुसरण करते हैं, तो अपने साहब की छोटी छोटी बातों को शिरोधार्य करने में क्यों हिचकिचाते हैं? जबकि वो हमें जीवन के बंधनों से मुक्त कर अपने लोक "सत्यलोक" ले जाने के लिए ही इस धरा में अवतरित हुए हैं।

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साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...