चाहतों के बादल बरसने लगे हैं, कामनाओं की झड़ी लगी हुई है। इन्हें सही दिशा दे लूँ, सुरति को संवार लूँ, नाम के चादर में अस्तित्व ढंक लूँ, समा लूँ। जी चाहता है विराम लूँ।
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तन्हाई केवल एक एहसास नहीं, बल्कि एक ऐसी गहरी दुनिया है जहाँ कोई और नहीं, बस आप और आपकी सोच होती है। यह एक खाली कमरा नहीं, बल्कि एक भरी हुई क...