मुझे कहीं कोई बुराई दिखती है, कमी दिखती है तो लिख पड़ता हूँ की शायद सार्थक चर्चा हो, इन बुराइयों से बचने का मार्ग मिले, उपाय मिले तथा हम जागरूक होकर निर्विघ्न और बिना भरम के निष्कंटक साहब के मार्ग पर चलें, उन तक पहुंचें भी और उनकी दर्शन बंदगी भी हो।
आज किसी ने मेरे एक पोस्ट पर मुझे मारने की धमकी दी। लेकिन मैं लिखना जारी रखूंगा। मन के हर विचारों को लिखूंगा- गुस्सा भी, प्रेम भी। मैं भी अगर यह सोचकर बैठ गया कि "कोई कुछ भी करे, मेरा क्या जाता है" तो कौन मिटाएगा बुराइयों को, कौन दिखाएगा बुराइयों को। आखिर मेरी भी आने वाली पीढ़ी, मेरे बच्चे उसी रास्ते आगे बढ़ेगें, जिस रास्ते मैं चल रहा हूँ। वो रास्ता साहब तक पहुंचने का मार्ग है। हमें उस रास्ते को सरल, सुगम, साफ सुथरा और हरा भरा बनाना है।
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