रविवार, 24 जुलाई 2022

साहब और शिष्य ...💐

दुनियाभर में करोड़ों लोग प्रतिपल साहब को अलग अलग माध्यमों से याद करते हैं, पुकारते हैं। कोई साहब के नाम का सुमिरण करता है, तो कोई साहब का ध्यान करता है। कोई साहब की आरती गाता है, तो कोई संध्यापाठ और गुरु महिमा का पाठ करता है। कोई उनके भजन-साखी-शब्द दुहराता है, तो कोई उनके नाम से व्रत उपवास-दान-पुण्य और संतों की सेवा इत्यादि करता है।

जिसकी याद, जिसकी पुकार जितनी गहरी होती है, करुण और भावपूर्ण होती है, निष्कलंक-निर्झर-भक्तिमय और प्रेम से भीगी हुई होती है, उसकी आवाज साहब तक अवश्य पहुँचती है। साहब अपने उस भक्त को सुनते हैं, निहारते हैं तथा आशीष प्रदान करते हैं। यह आवाज, यह दृश्य, यह पुकार और उनका आशीष अव्यक्त होता है, निःशब्द होता है।

इसी तरह साहब के सुमिरण में प्रतिपल लीन भक्त भी सुदूर बैठे ही दामाखेड़ा में निशदिन साहब का दर्शन पाता है। वह साहब को सोते-जागते, लिखते-पढ़ते, खाते-पीते, बातें करते, नयनों में आँसू लिए देखता-सुनता और प्रेमातुर रोता है।

धन्य हैं ऐसे लोग जो साहब को निशदिन दूर से ही निहारा करते होंगे, उनकी मधुर आवाज सुना करते होंगे, साहब की अनहद नाद में लीन रहा करते होंगे। साहब भी अपने ऐसे शिष्य पर तीनों लोकों की संपदा लुटाया करते होंगे।

इस अद्भुत, विलक्षण और दिव्य क्षणों में साहब और शिष्य एक दूजे के हो जाते हैं। दो शरीर एक प्राण हो जाते हैं। दोनों का अश्रुपूरित मिलाप होता है, शिष्य की अनंत जन्मों की प्रतीक्षा फलीभूत होती है। उस बूंद रूपी शिष्य को  साहब अपने सागर रूप (विराट सत्ता) में मिला लेते हैं, अपना रूप और गुण प्रदान कर देते हैं। साहब और उनके ऐसे परम शिष्य के मध्य प्रेम की पराकाष्ठा की कल्पना मात्र से रोंगटे खड़े हो जाते हैं। अहोभाग्य है उस जीवन का जो साहब के स्पर्श से होकर गुजरे ....

साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...