यदि सच्चे दिल से, विनम्र भाव से प्रार्थना करने की आदत डाल लेते हैं तो निश्चित ही थोड़े समय में ही इसका चमत्कारिक असर और परिवर्तन दिखाई देगा। प्रार्थना का फल हमेशा आता है, लेकिन कई बार इंसान अपने ढंग से फल की चाह रखता है, इसलिए वह प्रार्थना से आए फल को पहचान नहीं पाता और उसे ठुकरा देता है। प्रार्थना का सही बीज नहीं बोया जाता जिसकी वजह से प्रार्थनाएं फलित नहीं होती। प्रार्थना ऐसी हो जो हमारे जीवन में उतरे।
जब किसी व्यक्ति को कष्ट होता है, पीड़ा मिलती है, तो इंसान उन दुखों से मुक्ति के उपाय के लिए प्रार्थना करता है। भौतिक जगत से जब उसे कोई सहारा नहीं मिलता तो वह इससे उबरने के लिए किसी अज्ञात शक्ति का आह्वान करता है। जिसे परमात्मा कहा जाता है, और उस आह्वान को प्रार्थना।
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