गुरुवार, 14 फ़रवरी 2019

प्रेम पुष्प अर्पित...💐

फिर से कोई सदा के लिए चला गया। दिव्य आलोक का वो पुंज अपने दिव्य स्वरूप में विलीन हो गया। वो इस धरा पर अपने सहज और सरल व्यक्तित्व की छाप छोड़ गया, अपने पदचिन्हों के निशान छोड़ गया। रंग बिरंगे और खुशनुमा यादों से महकता भरा पूरा आंगन छोड़ गया।

न जाने क्यों हर किसी को जाने की विवशता है? न जाने क्यों विधाता ने जीवन और मृत्य की सीमाएं बांध रखी है? लेकिन आप जैसे दिव्य पुंज इन सीमाओं के पार अपने लिए जगह बनाते हैं, मोक्ष और कैवल्य प्राप्त करते हैं, सत्यलोक में अपना आशियाना बनाते हैं।

आपके विशाल व्यक्तित्व की महक सदा स्मृतियों में रहेंगी। आपके विचार, आपका कृतित्व, आपका आलेख और आपका जीवन सदा ही सबका मार्गदर्शन किया करेंगे। आपके दिव्य और सुवासित जीवन के रास्ते में प्रेम का एक पुष्प सादर अर्पित...💐

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2363523257013948&id=100000688913225



साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...