शुक्रवार, 24 मई 2019

साहब की लीला...💐

लोग उन्हें दया के सागर कहते हैं, कृपा के सिंधु कहते हैं। लेकिन मुझे वो जब भी मिलते हैं बड़े निष्ठुर से प्रतीत होते हैं, बड़े कठोर से जान पड़ते हैं।

मनोकामना की पूर्ति के लिए लोग उन्हें नमन करते हैं, उनकी आरती गाते हैं, उन्हें याद करते हैं। लेकिन वो मेरी कोई इक्छा पूरी नहीं करते, बल्कि मेरे माध्यम से अपनी चाहनाओं और उद्देश्यों की पूर्ति करवा लिया करते हैं।

लोग उन्हें प्रेम की प्रतिमूर्ति कहते हैं, उनमें प्रेम निहारा करते हैं, उनमें परालौकिक प्रेम का दर्शन करते हैं। लेकिन जब भी वो मुझसे मिलते हैं प्रेम से दुलार नहीं करते, प्रेम पूर्वक बात नहीं करते, बड़े रूठे और कड़े स्वर में सीधे आदेश करते हैं।

विचित्र लीला है उनकी...💐

साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...