गुरुवार, 29 नवंबर 2018

मोगरे के फूलों की तरह महकती यादें...💐

कड़कड़ाती ठंड और सर्द रात, नदी के किनारे महीनों बाद वे दोनों मिले थे। ऊपर गहरे आसमान में बिछी चाँदनी से धरती नहाई हुई थी। हवा की धीमी-धीमी लहरों से शरीर का अंग अंग ठिठुर रहा था, धरती पर गिरती ओस की बूंदे सिहरन पैदा कर रही थी। रात की उस गहरी खामोशी में भी गजब सी चंचलता थी, मदमस्त संगीत था, अलहड़ता थी।

पास ही एक झोपड़ी नुमा कच्चे घर में उस दिन जिंदगी से मुलाकात थी। उस रात दोनों एक कम्बल में साथ थे, पूरी रात खामोश ही रहे, लेकिन दोनों की साँसे आपस में बातें करती रही। शहर से दूर किसी अनजाने सफर पर वो एक दूसरे का हाथ थामें निकल पड़े थे।

सुबह होते ही पास के होटल में अलाव के निकट बैठे, चाय की चुस्की लेते, रात की थकान मिटाते रहे। कुछ देर सुस्ताने के बाद वो दोनों फिर से जंगल की ओर वीरान रास्ते के सफर पर निकल पड़े, जहां उनका प्यार परवान चढ़ता गया, आकाश की अनंत ऊचाइयों को छूता गया।

बरसों तक वो दोनों इसी तरह प्यार में जीते रहे, जमाने से बेखबर अपनी मस्ती में मस्त रहे। समय पंख लगातार तेजी से उड़ गया, लेकिन उस रात की अनकही मीठी याद हृदय को आज भी भावविभोर और आनंदित कर देता है। उस रात की महक से आज भी जिंदगी सुवासित है। यादें अब भी ताजी हैं, मोगरे के फूलों की तरह...💐

रविवार, 25 नवंबर 2018

मुक्ति का माया और बंधन में रूपांतरण...💐

रिटायर आईएएस अफसर अपने पैतृक गाँव में 10 एकड़ कृषि भूमि इसलिए खरीदता है कि बाकी का जीवन सुकून से प्रकृति के करीब रहकर बिता सके। लेकिन चार-चार बोर करा लिया, जमीन से पानी ही नहीं निकला। जल देवता तो जैसे उनसे रुठ ही गये। उसे पता चला कि पास ही एक संत रहते हैं जिसे सिद्धि प्राप्त है, वे समस्या जरूर हल कर देंगे।

वह बेहद हल्की उमर के लग रहे, साफ सुथरे चेहरे वाले संत के चरणों में नारियल और पूजा का सामान चढ़ाते हुए प्रणाम कर जमीन पर बैठ जाता है। संत अचानक बोल उठता है- "पानी के लिए आए हो?" अफसर ने "हाँ" में सिर हिला दिया।

संत ने अफसर से कहा- "चलो अभी अपनी जमीन पर ले चलो, जहाँ कहूं वही बोर खुदवाना।" जमीन के चारों तरफ घूमने के बाद संत ने एक जगह बताई जहाँ दूसरे दिन बोर खुदवाई गई, बोर सफल रहा, पानी का भरपूर स्रोत मिल गया।

बोर से पानी निकलने की चर्चा आसपास के पूरे गाँव में फैल गई। देखते ही देखते बड़ी बड़ी गाड़ियां उसके झोपड़ी के बाहर खड़ी होने लगी, बोरियों में "लक्ष्मी" भरी जाने लगी, और वो संत अब "भगवान" कहलाने लगा। मुक्ति का माया और बंधन में रूपांतरण हो चुका था

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साहब का सच्चा भक्त...💐

रात करीब दो बजे घुमंतु लोगों का एक झुंड कमरे में सत्संग कर रहा था। कहते हैं जिनमें से कुछ लोग साहब तक पहुँच चुके थे और कुछ लोग मार्ग में थे।

कहते हैं लाखों और करोड़ों में कोई एक साहब का सच्चा भक्त होता है जो साहब को जीता है। मैं तो हर छै महीने में दामाखेड़ा का मेला जाता हूँ, साहब का प्रवचन सुनता हूँ, हर रोज गुरु महिमा और संध्या पाठ करता हूँ, ध्यान करता हूँ। मुझे तो अनहद नाद भी सुनाई देता है। फिर चूक कहाँ हो रही है? लाखों और करोड़ों की भीड़ में, साहब के भक्तों की सूची में मेरा नाम क्यों नहीं है? क्या मैं साहब का सच्चा भक्त नहीं हूँ? साहब की ओर मार्ग में बढ़ रहे एक नन्हें जिज्ञासु ने प्रश्न किया।

सद्गुरु कबीर साहब के अनन्य भक्त हुए धनी धर्मदास साहब और आमिन माता साहिबा। क्या उनकी तरह तुम भी अपना जीवन हथेली पर रखकर साहब को भेंट कर सकते हो और कह सकते हो कि साहब आज से मेरे जीवन पर आपका सर्वाधिकार है। क्या साहब के नाम का दीपक पल पल हृदय में प्रज्वलित करने का साहस रखते हो? क्या उनके जैसी दृढ़ता है तुम्हारे भीतर? अगर तुम उनका अनुसरण कर सके तो अवश्य ही लाखों और करोड़ों की भीड़ में साहब के सच्चे भक्त के रूप में पहचाने जाओगे। संत के कथन से कमरे में खामोशी फैल गई।

खामोशी तोड़ते हुए संत ने पुनः कहा- "धर्मनि-आमिन सा चरम त्याग और बलिदान कहाँ से लाओगे? हमारी भक्ति उनके प्रेमाश्रु के एक बूंद के बराबर भी नहीं है।" लाखों और करोड़ों की भीड़ में कोई विरला ही साहब को जीने वाला होता है, वही साहब का सच्चा भक्त और प्रेमी होता है।

दो दल आन जुरै जब सन्मुख, शूरा लेत लड़ाई।

टूक टूक होय गिरे धरणी पै, खेत छांड़ि नहि जाई।।

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शनिवार, 24 नवंबर 2018

काबिलियत...💐

स्वाभाविक रूप से हर मानव में कुछ न कुछ कमियां होती ही है। लेकिन पूजनीय और जिम्मेदारी के पदों को धारण करने वाले लोग, हमें साहब का मार्ग बताने वाले लोग, साहब से हमें जोड़ने वाले महंत लोग कम से कम बंदगी करने के काबिल तो हों, उनका बाहरी आचरण तो कम से कम साफ सुथरा हो।

ऐसा नहीं है कि सब लोग बुरे हैं। हमारे आसपास बहुत से अच्छे लोग भी हैं, जो बेदाग और मर्यादित जीवन जीते हैं, साफ छवि रखते हैं। उनका साहब के प्रति समर्पण सहज ही दिख पड़ता है, और जिन्हें देखते ही मन में श्रद्धा उमड़ पड़ता है।

जिस दिन किसी व्यक्ति को साहब से महंती पंजा प्राप्त होता है उस दिन से ही वह व्यक्ति समाज में साहब के प्रतिनिधि के रूप में पहचाना जाने लगता है। तब उसका जीवन उसका नहीं रह जाता, साहब का हो जाता है। वह महंत, साहब के जीव कल्याण के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए, अपना जीवन देता है।

बदले में समाज उसे क्या नहीं देता? समाज उसे सम्मान देता है, आदर देता है, धन देता है, जगत कल्याण के लिए जीने का मकसद देता है, अपने घर और हृदय में स्थान देता है, चरणों में शीश नवाता है।

ऐसे में उनसे कम से कम पारदर्शिता, निष्पक्षता, अच्छे आचरण और मानवीय गुणों की अपेक्षा तो होती ही है।

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साहब का साथ...💐

अस्पताल की बिस्तर पर जब मौत से जंग हो थी तब जान बचाने के लिए न तो कोई कांग्रेस का नेता आया था, न भाजपा का नेता आया था, न ही जनता कांग्रेस का, और न ही समाज और जातिवाद के ठेकेदार। तब सिर्फ साहब थे, तब सिर्फ साहब ने हाथ बढ़ाया था और जान बचाई थी, साँसे दी थी। उनके नाम की डोर थामें ही मृत्यु पर विजय मिली थी।

मैं पूछता हूँ कहाँ थी तुम्हारी राजनीति जब मेरी तीन साल की नन्ही सी बेटी पांच दिन अस्पताल में दर्द से तड़पती रही, कहाँ थे तुम जब हाथ जोड़कर उस डॉक्टर से जान बचाने के लिए गिड़गिड़ाता रहा। फीस कम करने के लिए पैरों पर गिरा था। तब भी सिर्फ साहब थे, तब भी उन्होंने ही हाथ थामकर हमें जिंदगी दी।

मेरे मासूम प्यार को छिनने वाले, जिंदगी भर का दर्द देने वाले राजनीति और लोकतंत्र के ठेकेदार, जातिवाद के ठेकेदार तुमने हर कदम पर धोखे के अलावा कुछ दिया ही क्या है?

आज फिर तुमसे कह रहा हूँ, मुझे तुम्हारी जरूरत नहीं है। उस परमात्मा की जरूरत है, साहब की जरूरत है, जिन्होंने ये साँसे दी, खूबसूरत संसार को निहारने के लिए हमें जिंदगी दी।

शुक्रवार, 23 नवंबर 2018

पैंक्रिटाइटिस (Pancreatitis) अथवा अग्नाशय शोथ...😢

बचपन से ही मैं असहनीय पेट दर्द से परेशान हूँ। बहुत इलाज करवाया लेकिन डॉक्टर समझ ही नहीं पा रहे थे कि समस्या क्या है। बरसों बाद मेरे पेट दर्द की समस्या पैंक्रिटाइटिस के रूप में सामने आई। इस समस्या ने मुझे जिंदगी के हर कदम पर पछाड़ा, पीछे छोड़ दिया, सामान्य जीवन जीने ही नहीं दिया। आए दिन असहनीय दर्द और पीड़ा मेरे साथ मेरे अपनों को भी झेलना पड़ता है। चूँकि यह समस्या मुझे जन्मजात हो सकती है, और ताउम्र यह मेरे साथ बना रह सकता है, इसलिए मुझे इसके साथ तालमेल बनाकर जीना सीखना होगा। यह गंभीर किस्म की बीमारी है, और इसके सही कारणों के बारे में डॉक्टर भी नहीं बता पाते हैं। इस पर अभी भी शोध चल रहा है।

मेरे डॉक्टर ने इस विषय पर मेरा अनुभव लिखने के लिए मुझे प्रेरित किया, अतः पैंक्रिटाइटिस पर मेरे अनुभवों को आपके साथ साझा कर रहा हूँ, जिसे समय समय पर अपडेट भी करता रहूंगा, शायद किसी के काम आ जाए जो इस समस्या से पीड़ित हो और जिन्हें इससे उबरने का मार्ग नहीं मिल रहा हो।

पेट का दर्द लंबे समय से बना हुआ हो। चाय पीने, तेल में तली चीजें खाने, भारी खाना खाने से दर्द बढ़ जाता हो, सोनोग्राफी और एंडोस्कोपी की जांच में कुछ पता न चलता हो, खून की जांच में सुगर का स्तर अकस्मात बढ़ा हुआ हो, दिन प्रतिदिन वजन कम हो रहा हो, तो यह पेनक्रियाज से संबंधित गंभीर समस्या हो सकती है। यह समस्या कई मरीजों में पैंक्रिटाइटिस कैंसर के रूप में भी सामने आ सकती है। इसकी जांच के लिए डॉक्टर पेट का सीटी स्कैन, एमआरआई, बायोप्सी आदि कराने की सलाह देते हैं।

पेनक्रियाज मानव शरीर की एक बड़ी ग्रंथि होती है, जो हमारी छोटी आँत में कई तरह के हार्मोन का स्राव करता है। इसके मुख्य हार्मोन होते हैं- लिपासे (Lipase), अमिलिज (Amylase) और प्रोटीज (Protise)। ये हार्मोन हमारे आहार के प्रोटीन, वसा और कार्बोहाइड्रेट को पचाने में सहायक होते है। इसके अलावा यह इंसुलिन (Insulin) का उत्पादन भी करता है, जो हमारे शरीर के सुगर लेवल को नियंत्रित करता है। पेंक्रिटाइटिस में आहार के साथ लिए जाने वाले पोषक तत्वों (प्रोटीन, वसा कार्बोहाइड्रेट) को शरीर पचा पाने में असमर्थ हो जाता है। जिससे शरीर कमजोर हो जाता है।

डॉक्टरों का मत है कि अत्यधिक शराब के सेवन, नशे का लत, स्टेरॉइड का लंबे समय तक सेवन करना, संक्रमित और दूषित भोजन, अग्नाशय की पथरी, लंबे डिप्रेशन के कारण एवं जन्मजात रूप में भी पेनक्रियाज से संबंधित बीमारी होती है।

यह गंभीर और दर्दनाक बीमारी है। इसमें पेनक्रियाज में सूजन हो जाती है, जिसके कारण उल्टी, दस्त के साथ पेट के बीचों बीच, पेट के बाईं ओर, पीठ की ओर तथा कंधो में बहुत तेज दर्द हो सकता है, यह दर्द कभी कभी झटके (Pancreatic Attack) के रूप में भी होता है। समस्या बढ़ने पर खून की उल्टी और दस्त भी हो सकती है। ऐसे में मरीज को खून चढ़ाने की आवश्यकता और अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता पड़ सकती है। अतः लंबे समय से चले आ रहे पेट के दर्द को गंभीरता से लेते हुए समय पर चिकित्सकीय परामर्श जरूर लेना चाहिए।

वर्तमान में मेरे डॉक्टर ने डाईट में प्रोटीन से भरपूर आहार, दाल, हरी सब्जियां, सभी प्रकार के फल लेने को कहा है। साथ ही सुगर और तले हुए खाद्य पदार्थों से दूर रहने की सलाह के साथ निम्न दवाइयाँ दी है:-

(1) Panlipase 25000
(2) Antoxipan
(3) Razo 20
(4) Pregabalamin

पेंक्रिटाइटिस से संबंधित में अनेक जानकारियां विभिन्न लेखों और वीडियो के माध्यम से ऑनलाइन हिंदी भाषा में भी अब उपलब्ध है।

https://www.myupchar.com/disease/pancreatitis#medicine

शनिवार, 3 नवंबर 2018

चुनाव और गोपाल का घर...💐

मतदान के कुछ दिन पहले ही गोपाल की झोपड़ी में नेताजी के खास आदमी की मार्शल गाड़ी आकर रूकती है। सफेदपोश खास आदमी कहता है- "पूरा इंतेजाम कर लिए हैं, गाड़ी सुबह 7 बजे तुम्हारे घर पहुँच जाएगी, वोटिंग के बाद प्लेन, मसाला, टंगड़ी की पूरी व्यवस्था है। साथ ही भैयाजी आपको कुछ लिफाफे के पैकेट भी भेंट करेंगे।"

चुनाव आते ही सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक, कर्मचारी संगठन अपने हित साधने में एड़ी-चोटी एक कर देते हैं। ऐसे में बेचारे गोपाल की आंखों में भी एक खोली के पट्टे वाले घर का सपना तैरना बड़ी बात नहीं है।

वो नेताजी के खास आदमी से पहले की भांति ही डील पक्की करता है। घर के चार सदस्यों के वोट के बदले एक खोली का पक्का घर।

मतदान होता है, नेताजी चुनाव जीत चुके हैं। लेकिन फिर पांच साल बीतने को आए, वादा अब तक पूरा नहीं हुआ। गोपाल अब भी माता-पिता, पति-पत्नी और दो बच्चों के साथ उसी कच्चे मकान में रहता है। अब गोपाल नेताओं को अच्छी तरह से समझने लगा है, और अपनी नियति भी।

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साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...