शुक्रवार, 10 मई 2019

सप्रेम साहेब बंदगी साहेब...💐

आजकल साहब को चाहने वाले फेसबुक, वाट्सएप और विभिन्न प्रसार माध्यमों में साहब की वाणियों, प्रवचनों, साहब से संबंधित लेखों में "सप्रेम साहेब बंदगी साहेब" की जगह पर "पायलागू" शब्द का खूब उपयोग कर रहे हैं।

यूं तो हर किसी को अपने अपने तरीके से साहब को याद करने, साहब को नमन और बंदगी करने का अधिकार है। अलग अलग राज्यों, संस्कृतियों और बोली में अभिवादन का तरीका भी भिन्न-भिन्न हो सकता है।

चूंकि हमारे साहब ने अब तक कहीं भी "पायलागू" शब्द का उपयोग नहीं किया है, न किसी मंच में, न किसी ग्रंथ में और न ही कभी सोशल मीडिया में। वो तो हर मंच और हर माध्यमों से केवल "सप्रेम साहेब बंदगी साहेब" ही कहते और लिखते हैं।

इसलिए हमें साहब का अनुशरण करते हुए "सप्रेम साहेब बंदगी साहेब" ही लिखना चाहिए, और इन्हीं शब्दों के साथ अभिवादन भी करना चाहिए। दरअसल "बंदगी" शब्द में साहब के प्रति समर्पण का अहसास होता है, उनके चरणों मे झुककर माथा रखने का भाव जागता है।

Saprem
SAHEB BANDAGI SAHEB...💐

साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...