मंगलवार, 7 अप्रैल 2020

साहब मिलेंगे, जरूर मिलेंगे...💐

कई लोगों की जिज्ञासा होती है, जानना चाहते हैं। पूछते हैं कि ये सुमिरण-ध्यान क्या होता है? सुमिरण-ध्यान कैसे करें? मेरे कई परिचित और रिश्तेदार अक्सर यही पूछते हुए उमर गुजार रहे हैं, लेकिन करते कुछ नहीं। कुछ बताओ तो कान लगाकर सुनते जरूर हैं, लेकिन दो तीन दिनों में ही हलाकान हो जाते हैं, मैदान छोड़ जाते हैं।

दरअसल रुचि और लगन का अभाव, समर्पण का अभाव हमें साहब से दूर कर देता है। सुमिरण-ध्यान के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा आलस्य है, जिसकी वजह से हम कल-परसों पर टालते रहते हैं। जिस पल शरीर को यंत्र बना लिए उसी पल साहब नजरों के सामने होते हैं, जिस पल हमारा मन निर्मल आईना बन जाता है, उसी पल उनकी छवि नजर आती है।

जुनून... उनको तलाशने की
जुनून...उनसे सुरति की डोर जोड़ने की
जुनून... जीवन उनके चरणों में रख देने की
जुनून... सांस का कतरा कतरा अर्पित कर देने की
जुनून... अपना जीवन अपने ही हाथों बार लेने की।

वो मिलेंगे, जरूर मिलेंगे... पागलपन तो छा जाने दो।

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प्रार्थना...💐

प्रार्थना...। क्या आपने कभी सोचा है कि प्रार्थना का क्या मतलब होता है? क्या मंदिर मे पूजा करना और मन्नत माँगना ही प्रार्थना है? प्रार्थना का शाब्दिक अर्थ माँगना होता है, याचना करना होता है। तो क्या परमात्मा से झोली फैलाकर माँगना ही प्रार्थना है?

अगर माँगना ही प्रार्थना है तो यह एक तरह से शिकायत हो गई की हमें उन्होंने अभी तक कुछ नहीं दिया जो वो दे सकते हैं, या जो दूसरों को प्राप्त है वह हमें अभी तक अप्राप्त है।

प्रार्थना का सच्चा मतलब तो धन्यवाद का भाव है, अहोभाव का भाव है। अहोभाव में जीना ही प्रार्थना है। जितना मिला वह जरूरत से ज्यादा मिला। जो भी मिला वह स्वीकार है, जो नही मिला वह भी स्वीकार है। क्या ऐसे स्वीकार भाव से जीने में कोई दुविधा, परेशानी व्यक्ति को उसके जीवन मे हो सकती है भला??

धन्यवाद साहब सांसे देने के लिए, धन्यवाद जीवन देने के लिए, धन्यवाद इस जगत के मीठे नमकीन स्वाद चखाने के लिए, धन्यवाद चरणों में जगह देने के लिए...

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साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...