रविवार, 11 मार्च 2018

राधा...💐💐💐


वो क़िस्मत के धनी होते हैं जिन्हें चुनाव का अवसर मिलता है, जीवनसाथी चुनने का अवसर मिलता है। वरना लोग तो रिश्ते का सौदा ही करते हैं। उन्हें प्यार तो था, लेकिन पारिवारिक, सामाजिक और पारंपरिक मर्यादा की दहलीज़ पार करने की हिम्मत वो नहीं जुटा पाए। लेकिन सच तो यही है कि जब जीवन आगे बढ़ता है तो सारे रिश्ते, सामाजिक लोग और परंपरा पैरों की बेड़ियाँ ही बनती है। क़ब्र तक पहुँचते तक शरीर के साथ सारे लोग भी साथ छोड़ जाते हैं।

मिलन की दहलीज से एक बस कदम की दूरी पर आकर उसने सामाजिक और पारिवारिक रिश्तों को अहमियत देते हुए दस बसंत प्यार के रिश्ते को तोड़ना उचित समझा। जबकि सच्चा प्यार तो बलिदान मांगता है, त्याग मांगता है, सर्वस्व समर्पण की अभिलाषा रखता है।

अब एक होकर भी वे दोनों अलग अलग हैं, और अलग होकर भी एक हैं। जीवन का सबसे महत्वपूर्ण वक्त उसी के साथ बीता, इसलिए वो जिंदगी में रची बसी सी है। हृदय ने एक कोने में उसके लिए घरौंदा बना रखा है, और सदा उसके लिए प्रतीक्षारत रहता है, उसने भी राधा बनना स्वीकार कर लिया...

साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...