रविवार, 28 जुलाई 2019

साहब सबका है...💐

कई फोन आते हैं, मेसेज आते हैं। कहते हैं "साहब आपके पोस्ट को पढ़ते हैं, लाइक करते हैं, कमेंट करते हैं।" मेरे पोस्ट पर साहब के लाईक और कमेंट की वजह से कुछ लोग मुझे ऊंची दृष्टि से देखते हैं और आवश्यकता से अधिक सम्मान देते हैं। कुछ लोग मुझे संत या महात्मा समझते हैं। कुछ लोग समझते हैं कि साहब से गहरी जान पहचान है, इसलिए मेरे जरिए अपनी बात मुझे जरिया बनाकर साहब तक पहुचानें का निवेदन करते हैं।

दोस्तों, आपकी ही तरह मैं भी लाईन में रहकर उनकी बंदगी करता हूँ, प्रसाद लेता हूँ। यहाँ तक कि मैं रायपुर में रहकर भी उनके दर्शन के लिए नहीं जाता, और जाता भी हूँ तो उन्हें दूर से देखकर दबे पांव वापिस लौट आता हूँ।

बस इतनी सी बात है कि वो मुझे अच्छे लगते हैं, उनकी बातें अच्छी लगती है। कुछ कहते हैं तो लगता है मेरी ही बात कह रहे हैं, मेरे लिए ही कह रहे हैं। उनकी बातें मुझे छू जाती है। बस इतनी सी बात है...। मुझे न तो कबीरपंथ की कोई जानकारी है और न ही साहब से व्यक्तिगत परिचय है। उनके लाईक और कमेंट की वजह से मेरी टीआरपी बढ़ जाती है, लेकिन वो मेरे पोस्ट को लाईक क्यों करते हैं मुझे नहीं पता, पता चले तो मुझे भी जरूर बता देना।

यहां तक मेरी पत्नी भी जिद करती है और कहती है कि "साहब आपसे खुश हैं, इसलिए हमारी कुटिया में चरण रखने का उनसे निवेदन करो...।" हद है यार... बताओ भला😢

कटीले रास्ते...💐

जिस रास्ते पर आना जाना छोड़ देते हैं, वहां कटीली झाड़ियां उग आती हैं। धीरे धीरे वह रास्ता खो जाता है, और आने जाने वालों को पता ही नहीं चलता कि वहां कभी कोई रास्ता भी हुआ करता था। उसके विपरीत जिस रास्ते पर हम रोज आते जाते रहते हैं वह स्वतः ही बड़ा और चौड़ा हो जाता है।

चूंकि हम उस रास्ते पर कभी कभी ही चलते हैं, इसलिए उस रास्ते पर कटीली झाड़ियां उग आई हैं। हमें हर रोज उस रास्ते पर चलना होगा, हर रोज रास्ते को और बड़ा, और चौड़ा बनाना होगा। हमें समय समय पर कटीली झाड़ियों के विरुद्ध औजार लेकर खड़े होना होगा, उन्हें रास्ते से हटाते रहना होगा, ताकि हमारा मार्ग सुगम्य बना रहे और हमारे पाँव में कोई कांटा न चुभे।

परमात्मा का सबक...💐

अक्सर इंसान अपनी समस्याओं को ढकेलता रहता है, ढोता रहता है। मगर समस्याएँ हैं कि बार बार आती रहती हैं। जब तक वह उनसे मिलने वाला सबक नहीं सीख लेता, वे आती ही रहेंगी।

यह जीव जगत परमात्मा की ही कृति है। इसलिए परमात्मा को अपने कृतित्व, अपनी रचना से प्रेम होता है, और उसी प्रेमवश वह मनुष्य की राह में समस्याएँ बोकर उसकी मदद करना चाहता है कि ‘आज सबक नहीं सीखा तो कल सीख जाएगा, कल नहीं तो परसों सीख लेगा।’ इस प्रकार वह हर दिन हमें सबक सिखाने का उपक्रम करता रहता है। परमात्मा का यह प्रेम निरंतर चलता रहता है, इसलिए वह हमारी राह में आए दिन समस्याएं बोता रहता है।

इंसान जब परमात्मा के इस रहस्य को जान जाएगा तब अपने सबक तुरंत सीखना शुरू कर देगा। जैसे जैसे वह समस्याओं से अपने सबक सीखता जाएगा, उसके जीवन में बार बार आने वाली समस्याएं भी बंद हो जाएँगी। वह परमात्मा के उद्देश्यों को समझते हुए परिस्थितियों को स्वीकार करना और राह ढूंढना भी सीख जाएगा।

साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...