घर में चौका का आयोजन होने जा रहा है। महंत साहब ने परिवार के सभी सदस्यों को घर का सारा काम छोड़कर, काम की जिम्मेदारी दूसरे पारिवारिक सदस्यों को सौंपकर चौका स्थल में बैठने का आदेश दिया है। थोड़ी देर में चौका शुरू हुआ।
चौका शुरू हुए पांच मिनट नहीं बीता था कि छोटी बहू की गोद में बैठा बच्चा रोने लगा, छोटी बहू उसे लेकर चौका स्थल से उठकर चली गईं। घर के मुखिया को खाना बनाने वाले ने ये देखने के लिए बुला लिया कि सब्जी में कितने आलू डालना है। तभी बड़ी बहू के मायके की तरफ के लोग आ धमके, वो भी चौका स्थल से उठकर आवभगत में लग गई। घर का बड़ा बेटा भी किराने की सामान ढोने के लिए बुला लिया जाता है, और छोटा बेटा चौका स्थल से उठकर रेडमी के नए मोबाइल से वीडियो बनाने में लग जाता है।
अब चौका का सारा भार अकेले महंत साहब के कंधे पर आ जाता है। वहीं दूर बैठे कुछ महाज्ञानी लोग चौका पद्धति में गलतियां निकालने में व्यस्त हो जाते हैं, नारियल कितने हैं, कलशे में बातियाँ कितनी है, महंत साहब किस दिशा की ओर बैठे हैं आदि। आखिरकार महंत साहब, दीवान साहब और सहयोगियों ने चौका सम्पन्न किया। लोग प्रसाद लिए, जीभरकर खाना खाएं और चले गए।
एक दृश्य ऐसा भी...💐