मंगलवार, 7 दिसंबर 2021

साहब से मिलन की आस...💐

उनके चरणों को माथा लगाए बरसों बीत गए, उनका दिव्य स्पर्श पाए बरसों बीत गए। परिजन कहते हैं कभी तो जाया करो उनसे मिलने...बंदगी करने। माना कि तुम सुदामा ही सही, पर श्रीकृष्ण से मिलकर ही तो उसे वैकुण्ठ की प्राप्ति हुई। क्या पता तुम्हारे साथ साहब हमें भी भवसागर से तार दें!

मेरे परिजन और मित्रगण मुझे साहब से प्रत्यक्ष मिलने को कहते हैं, मेरे इंकार करने पर मुझे अहंकारी कहते हैं। जो दूर से तो साहब के प्रति प्रेम दिखाता है, जो साहब के चरणामृत तो शिरोधार्य करता है, जो साहब का पान परवाना तो ग्रहण करता है, लेकिन उनके चरणों तक नहीं जाता, बंदगी नहीं करता।

उन्हें कैसे समझाऊँ की साहब तक पहुंचने में एक एक लम्हों में बरसों की प्रतीक्षा है, एक एक घूंट में अतृप्त प्यास है, बड़ी लंबी कहानी है, लंबी तपस्या है,  अथाह दर्द है, बेपनाह टीस है, भयंकर पीड़ा है। 

मुझे लगता है उनसे प्रत्यक्ष मिलूंगा तो उन्हें खो दूंगा। उनसे मिलने की आस, उनसे मिलने की प्रतीक्षा, उनसे मिलने की व्याकुलता में ही ये देह प्राण त्याग दे। वो सोते जागते, खाते पीते, पढ़ते लिखते, उठते बैठते, बातें करते दिख जाते हैं, उनका दर्शन हो जाता है। जीवन में भला और क्या चाहिए।

साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...