गुरुवार, 13 जनवरी 2022

साहब का प्यार ...💐

मैं तो साहब से मिले प्यार से अभिभूत हूँ, उनकी दया से ओतप्रोत हूँ। वो जो दिखाते हैं, वो जो सुनाते हैं, उन आवाजों और दृष्यों से हर पल घिरे रहता हूँ। साहब से मैं इतना प्यार पाकर धन्य हो उठा। लेकिन यही सब मेरे आंसुओं का कारण भी है। जब साहब ऐसी मानवीय इंद्रियों के पार की बातें दिखाते हैं, सुनाते हैं जो अभूतपूर्व हो। तो रोना भी आता है, और हंसी भी आती है। 

रोना इसलिए आता है क्योंकि उन दृश्यों में कभी किसी करीबी की मृत्यु दिखती है, तो कभी किसी की कराहने की आवाज होती है, मुझसे जुड़े लोगों की तकलीफें होती है, मेरे खुद की जिंदगी से जुड़े दृश्य होते हैं। कई दृश्य और आवाजें तो जानवरों की भी होती है, जो मेरे आसपास मौजूद होते हैं। 

चूँकि इन अनुभूतियों का संबंध मेरे अथवा मेरे अपनों से होता है इसलिए उन ध्वनियों और दृष्यों को अपने दिल से लगा बैठता हूँ, इसमें बह जाता हूँ। और हंसी यह देखकर आती है कि लोग व्यर्थ ही फालतू के, बिना मतलब के, तुच्छ और निपट कर्मों में लिप्त होकर अपना मानुष जनम गवां रहे हैं। 

साहब मुझे जिस शिखर की उस ऊँचाई से दुनिया दिखाते हैं, जिस शिखर की बात बताते हैं, दरअसल मैं इस योग्य ही नहीं हूं। मैं साहब की असीम दया पाने के काबिल ही नहीं हूं, उनकी इतनी दया का पात्र ही नहीं हूँ। मैं ठहरा उनका घोर कलयुगी भक्त, लेकिन न जाने क्यों वो मुझ पर अपना प्यार बरसाते हैं।

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मेरी आध्यात्मिक यात्रा...💐

मैं परिस्थितियों का मारा हूँ। दुखों से बचने के सारे उपाय करता हूँ। मैंने गले में कंठी धारण कर रखी है, लेकिन मेरे परिजन मुझे लाल कपड़े में लपेटे हुए ताबीज भी पहना रखे हैं। एक तांत्रिक ने नहाने के बाद केले के पौधे की पूजा करने को कहा है, तो दूसरे ज्योतिषी ने मूंगा रत्न चांदी की अँगूठी में पहनने को भी कहा है।

मेरा छोटा भाई ओशो का परम भक्त है,  जिससे खूब आध्यात्मिक चर्चा होती है, बहस होती है। वो निर्गुण उपासक है तो मैं सगुन उपासक। वो सुबह चार बजे ओशो का ध्यान धरता है, तो मैं रोज सबके सोने के बाद रात एक-दो बजे साहब को याद करता हूँ।

जितनी बार दामाखेड़ा नहीं गया उतनी बार तो ब्रम्हकुमारी ध्यान केंद्र गया, गायत्री मंदिर गया, हवन में शामिल हुआ, ओशो को सुनने और पढ़ने गया। गीता के अनेकों पन्ने पलटे, बुद्ध और महावीर को पढ़ा और सुना। प्रश्नों के उत्तर जानने, दुखों से बचने के लिए हर किसी का दरवाजा खटखटाया।

मेरी आध्यात्मिक यात्रा पूरी खिचड़ी है यार।

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पान परवाना के फायदे ...💐

बहुत पहले की बात है। एक दिन परम् आदरणीय महंत दीपक साहेब जी से कबीरपंथ में पान परवाना की महिमा के संबंध में चर्चा हो रही थी। उन्होंने चर्चा के दौरान पान परवाना की महत्ता बताई थी। आज वो प्रसंग याद आ गया। साहब से प्राप्त पान परवाना हमारे लिए अमृत तुल्य तो है ही, साथ ही साथ दैनिक जीवन की अनेक समस्याओं का हल भी है, जो बिंदुवार निम्न हैं-

पान खाने का प्रमुख कारण और लाभ यह है कि इसे खाने से पाचन क्रिया बेहतर होती है, क्योंकि इसे चबाते वक्त बनने वाला सलाइवा अधिक मात्रा में बनता है, जो भोजन के पाचन में अहम भूमिका निभाता है।

2 पान का पत्ता, खांसी और कफ की समस्या में लाभकारी साबित होता है। इन पत्तों को पानी में उबालकर उसे पीने से कफ नहीं होता और खांसी भी दूर होती है।

3 शारीरिक दुर्गंध को दूर करने के लिए पान का उपयोग किया जा सकता है, यह काफी प्रभावी उपाय है। 2 कप पानी में पान के 5 पत्तों को उबालें और जब यह आधा रह जाए तब इसे पिएं। इससे शारीरिक गंध दूर होगी।

 4 जले हुए स्थान पर पान के पत्तों को पीसकर बनाया गया लेप लगाकर कुछ देर छोड़ दें, फिर इसे साफ कर इसमें शहद लगाने से लाभ होता है और त्वचा जल्दी ठीक होती है।

मुंह व मसूड़ों से खून खाने की स्थिति में पान के पत्ते में लगभग 10 ग्राम कपूर डालकर इसे चबाने से फायदा होता है। इसके अलावा श्वास की दुर्गंध के लिए भी पान बेमिसाल है।

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साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...