रविवार, 31 जुलाई 2022

हिंसक लोग और भक्ति का पाखंड ...💐

मैं कोई दूध का धुला नहीं हूँ, ढेरों बुराइयां हैं मुझमें भी। लेकिन शराब नहीं पीता, निर्दोष और निरीह प्राणियों को मारकर नहीं खाता। मुझे साहब कबीर के परंपरा की कोई जानकारी है, न ही कुछ और जानने की इक्छा है। कबीरपंथ में क्या होना चाहिए और क्या नहीं होना चाहिए, इसका फैसला करने वाला भी नहीं हूँ। बस वर्तमान में हमारे बीच सशरीर उपस्थित वंशगुरुओं के प्रति थोड़ी श्रद्धा है, थोड़ा प्रेम है। जिन्हें मैं अपना परमात्मा कहता हूँ।

दरअसल विगत कुछ समय पहले साहब के फेसबुक पोस्ट से मिली सूचना से आहत हूँ और उससे उबर नहीं पा रहा हूँ। मैं जानना चाहता हूँ कि जो लोग मुर्गा खाकर, चिकन खाकर, मासूम जीवों की निर्दयता पूर्वक हत्या करके साहब के मंच से अपने भजनों के माध्यम से हमें भक्ति सिखाते थे, अहिंसा और प्रेम सिखाते थे, कबीरपंथ का युवावर्ग उन्हें आदर्श मानते थे, साहब उन्हें अपने बगल, अपने समकक्ष बैठने के लिए आसन और मंच देते थे, उन्हें अपनी संतान की भांति उन पर अपना अमूल्य निधियां लुटाते थे, उन्हें क्या सजा मिली?

किसी को जानकारी हो तो कृपया मुझे भी अवगत कराएं।
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साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...