शनिवार, 30 मार्च 2019

साहब का देश...💐

आपका देश बड़ा अनोखा और न्यारा है साहब। यहां एकांत की झरझर नदियाँ बहती है, दूर किसी अगम से आती शीतल पुरवाई बहती है। चहुँ ओर वातावरण में आपकी ही हल्की और सोंधी सी सुबास है। कोई मीठी आवाज कानों में रस घोलती है, सांसे आपके नाम से महकती हैं, धड़कनों में आपके ही गीत हैं, हर कदम पर आपकी ही लय और ताल है। वसुंधरा में जहां तक नजरें जाती हैं आपकी ही प्रतिमूर्ति झलकती है। धरती, आसमान, प्रकृति और कुदरत के सारे दृश्य और अदृश्य कार्यकलापों में आप ही मौजूद हैं।

आपके आभामंडल से निकलती दिव्य और उजले रोशनी से जीवन का पथ रौशन है, आपके ही रंगों से जीवन सराबोर है, आह्लादित है। आपकी अमृत बूंदों से जीवन सिंचित और पल्लवित है। थोड़े दर्द के साथ मीठा सा अहसास है, कुछ पूर्णता का सा आभास है।

"स्वाति बूंद को रटत पपीहा, पिया पिया रट लाई।
प्यासे प्राण जाय क्यों न अबहिं, और नीर नहीं भाई।।
दो दल आन जुरै जब सम्मुख, शूरा लेत लड़ाई।
टूक टूक होय गिरे धरणी पै, खेत छाड़ि नहिं जाई।।"

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साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...