शनिवार, 2 मई 2020

सहज सुमिरण...💐

दस बरस पूर्व एक तरफ तो मन बड़ा बेचैन था, कुछ समझ नहीं आता था। अकथनीय, असहनीय पीड़ा से जीवन आबाद था। तो दूसरी तरफ अनजाने, अनसुलझे रहस्यों से आत्मा उत्प्लावित और आह्लादित था। मन में रहस्यमयी प्रश्नों की लड़ियाँ थीं। तब साहब से मार्ग पूछने बलौदाबाजार से रायपुर की ओर निकल पड़ा था।

डॉ.Bhanupratap Goswami साहब की बंदगी करते हुए रो पड़ा था। पूरी बातचीत तो अब ठीक से याद नहीं है लेकिन उन्होंने मुझे देखते ही कहा था "सहज हो जाओ जी, सुमिरण ध्यान सहज होना चाहिए।" साथ ही उन्होंने पंचम साहब से मेरे लिए पास की दवाई दुकान से दवाई लाने को कहा था। साहब ने तब मुझे serlift नाम की दवा दी थी, और कहा था रोज एक गोली खाना।

साहब की बंदगी करके घर लौट आया। लेकिन आज तक "सहज सुमिरण-ध्यान" का मतलब नहीं समझ सका, सहज रहने का अर्थ समझ नहीं सका। उनकी एक वाणी का पालन आज तक नहीं कर सका। आज दस बरस के बाद भी उनके वचनों को जीने की कोशिश जारी है।

💐💐💐

साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...