बुधवार, 23 अक्तूबर 2019

सदगुरु कबीर और धर्मनि आमीन...💐

साहब तो सभी जीव का ध्यान रखते हैं, सबकी फिक्र करते हैं तभी तो हम सब सांस ले पा रहे हैं, जगत में भरण पोषण कर पा रहे हैं। लेकिन जरा ऊपर उठकर सोचिए, कल्पना कीजिए साहब के उन भक्तों के बारे में, उनके बीच के दिव्य और अलौकिक सम्बन्धों के बारे में जो सीधे तौर पर चेतना की सतह पर एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, जो साहब की राह में जीवन खपाते हैं, उन्हें देखकर जीते और मरते हैं। कल्पना कीजिए उस चरम प्रेम की जो सदगुरु कबीर और धर्मनि आमीन के हृदय में रहा होगा। साहब और भक्त के बीच के इस अलौकिक प्रेम को महसूस करके देखिए। ये मेरी मात्र कल्पना ही है, बस उस अद्भुत प्रेम की थाह लेना चाहता हूँ, उस उच्चतम शिखर को करीब से देखना चाहता हूं जिस शिखर पर सदगुरु कबीर, धनी धर्मदास साहब और आमीन माता मिले। ग्रंथों में उल्लिखित उनके बीच के संवादों को महसूस कीजिए। जिस प्रकार धनी धर्मदास साहब और आमीन माता सदगुरु कबीर के लिए बेचैन थे उसी तरह साहब कबीर भी उनके लिए उतने ही व्याकुल थे। खैर, जगत में उनके जैसा प्रेमी अब संभव नहीं, लेकिन मन में उनके अलौकिक संबंधों को लेकर विचार आया, हृदय में भाव उमड़ा, जिसे अपनी भाषा में लिख दिया..💐

मेरी पुकार की सार्थकता...💐

मैं कितनों भी उनके नाम का स्मरण करूँ, कितनों भी उनका ध्यान धरूँ, कितनों भी उनकी आरती गाऊं, कितनों भी उन्हें सुरति से निहारूँ, कितनों भी उन्हें पुकारूँ। मुझे लगता है मेरी इस पुकार का कोई अर्थ नहीं, मेरी व्याकुलता का कोई मोल नहीं।

मेरी पुकार की सार्थकता तब है जब वो मुझे याद करें, जब वो मुझे पुकारे, जब वो मेरी सुरति करें, जब वो मेरा ध्यान धरें। मेरी प्रार्थना तब सफल होगी जब वो मेरे लिए बेचैन रहें, मुझे सुलाने के लिए खुद रात रात भर जागें, मेरे साथ हँसे और मेरे साथ रोएँ, पल पल मुझे सजाए और पल पल मुझे संभालें। मेरी पुकार तब सार्थक होगी जब निशदिन उनके जेहन में मैं रहूं।

ऐसे अनेकों लोग होंगे इस दुनिया में, अनेकों पूण्य आत्माएँ होंगी इस जगत में, जिन्हें साहब निशदिन देखा करते होंगे, जिनकी साहब फिक्र किया करते होंगे, जिनके लिए साहब व्याकुल हुआ करते होंगे। न जाने वो कैसे लोग होंगे जिनकी चिंता साहब को होती होगी, परमात्मा को होती होगी। ऐसे लोगों का जीवन निश्चित ही दिव्यता से ओतप्रोत होता होगा। उफ़, सोचकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं।

साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...