बुधवार, 19 मई 2021

परमात्मा से नाराजगी है...💐

मैं रोज परमात्मा की उपासना करता हूँ, आरती गाता हूँ। फिर भी जीवन दुख और कष्टप्रद बना हुआ है। परमात्मा ही तो इस सृष्टि के सृजनकर्ता हैं, नियंता हैं, पालनहार हैं परन्तु उसी परमात्मा से मैं दुखी क्यों रहता हूँ? मुझे क्यों सुख नहीं देते?

परमात्मा तो सर्वश्रेष्ठ मित्र और सखा हैं, फिर प्रभु अपनी मित्रता की अमृत वर्षा मेरे ऊपर क्यों नहीं करते? कहाँ चूक हो रही है? कहाँ कमी रह गई है?

क्या उन्होंने मुझे नहीं अपनाया है? क्या उन्होंने मुझे अपने चरणों में जगह नहीं दी है? क्या अब तक अमरलोक में मेरे लिए कोई सीट बुक नहीं हुई है?

समय पल-पल रेत की तरह उड़ता जा रहा है, हाथों से फिसलता जा रहा है, साँसे व्यर्थ जा रही है। न जाने कमबख्त सुख के दिन जीवन में कब आएंगे? निकम्मों को सारे जहांन की खुशियाँ और मुझे फटीचर सी जिंदगी... नाइंसाफी है। 

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