बुधवार, 19 मई 2021

उसकी बंदगी ...💐

सूरज, चांद, सितारे रोज उदय होते हैं और समय आने पर अस्त भी हो जाते हैं। यह प्रकृति का भयावह और क्रूर स्वरूप भी है तो यही उसकी सुंदरता और गीत भी है।

एक मासूम सा चेहरा बार बार आंखों में तैर रहा है। उसकी करूण पुकार कानों को भेद रही है। वह नन्हा तारा अस्त होने को है, जगत के बंधनों से मुक्त होने को है। होश खोने से पहले, शाम ढलने से पहले, गहरी नींद में सोने से पहले उसने अंतिम बार बंदगी कहा है।

आपके चरणों में उसकी सादर बंदगी, सप्रेम साहेब बंदगी...💐






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