बुधवार, 19 मई 2021

बेतरतीब भाव...💐

रहस्यों के अंदर रहस्य है। वो अनेक रूपों में प्रकट होता है, कभी डरा देता है तो कभी हंसा देता है। कभी दूर तो कभी पास से आती उनकी आवाज बिल्कुल जानी पहचानी सी है, चेहरा भी हूबहू वही है जो आंखों में बरसों से बसा है। दिनभर वो मुझे ताकते रहते हैं, निहारते रहते हैं। वो एक पल भी मुझे अकेला नहीं छोड़ते। संग संग चलते हैं, राज की बात बताते हैं। मेरे आसपास के जाने पहचाने अनेकों मुखोटों के पीछे छिपे चेहरों का भेद बताते हैं।

उसे सब पता है, पर्दे के पीछे से भी वो देख लेता है। उससे कोई बात नहीं छुपती। जी चाहता है ऐसे ही उनकी मधुर आवाज के साए साए जीवन की सुबह और शाम हो। उनके रौशनी से जगमगाते पथ पर मैं भी कदमताल करूँ।

सोचता हूँ थोड़ा रंग और चढ़ने दो, थोड़ी खुमारी और बढ़ने दो, थोड़ी गहराई में और उतरने दो, विदा होने के पहले थोड़ा प्यार और कर लूं, दो बातें कह लूँ, दो सांसे और जी लूं, प्यास अभी बुझी नहीं है और ख्वाहिशें उड़ान पर है। सूरज को ढल जाने दो, रोशनी को और मंद हो जाने दो, चाँदनी को और बिखरने दो, रात को और गहराने दो, तन्हाई में उनसे मिले अरसा बीत गया।

बीती रात की बात अधूरी है, कुछ खामोशी भी जरूरी है। पलकों के बंद होने के पहले उनसे मुलाकात जरूरी है।।

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