सोमवार, 29 मार्च 2021

कठिन रास्ते...💐

जहाँ मैं हूँ, जैसे मैं हूँ, जिन परिस्थितियों को जी रहा हूँ, वहाँ रहने की चेष्टा न कर, कामना न कर। यहाँ गहरा मौन है, एकांत है, अतृप्त और बेरहम प्यास है। इस राह जब चलना आरंभ किया तब अकेला था, और आज भी इस राह का अकेला मुसाफिर हूँ। थोड़े दिनों तक लोग जुड़ते चले गए, पर धीरे धीरे वो सब पीछे रह गए, छूट गए।

किसी अनजानी सत्ता की खोज में साँसे खप गई, जिंदगी वीरान हो गई, रेगिस्तान हो गई। लेकिन प्यास अधूरी रही, आस अधूरी रही, कल भी खाली हाथ था, आज भी हाथ खाली है। रास्ता मोड़ ले। पथरीले, मरुभूमि और बंजर रास्ते पर लहूलुहान हो जाओगे। 

कोई कोई ही ऐसा होता है जो उन तक पहुंच पाता है। फिर भी अगर लहूलुहान होना चाहते हो, मरकर जीना चाहते हो तो इस मार्ग पर तुम्हारा स्वागत है।

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