बुधवार, 19 मई 2021

साहब से मुलाकात ...💐

सन 2008... दामाखेड़ा... चौका स्थल।
मैं पूरी तैयारी के साथ गया था कि आज कैसे भी करके सुमिरण ध्यान के बारे में साहब से पूछकर ही आऊंगा।
पंथ श्री प्रकाशमुनि नाम साहब चौका कर रहे हैं। वहीं थोड़ी दूर पर डॉ. भानुप्रताप साहब उनमुनि अवस्था में अकेले बैठे हैं।

मौका देखते ही भीगे नयनों से डॉ. भानुप्रताप साहब के चरणों में बंदगी करते हुए निवेदन किया कि मुझे सुमिरण-ध्यान के बारे में बताएं। साहब ने कुछ सेकंड का मौन तोड़ते हुए कहा- 
"अभी यहां बहुत भीड़ है जी..., यहां कुछ बताते नहीं बनेगा। ऐसा करो कि शाम को घर पर मिलना, तुम्हें सुमिरण-ध्यान के बारे में जरूर बताऊंगा।"

मैंने स्वीकारोक्ति भरी, बंदगी करके आश्रम लौट आया और शाम होने का बेसब्री से इंतेजार करता रहा। शाम हुई, लेकिन द्वारपालों ने मुझे दरवाजे पर रोक लिया। चिल्लाता रहा कि साहब ने बुलाया है, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं हुआ। रात भर दरवाजे पर रोते हुए बैठा रहा, लेकिन मुझे जाने नहीं दिया गया। इस तरह मैं पहली कोशिश में असफल रहा। लेकिन इस बात की आज भी खुशी है कि मैं साहब से बात कर पाया। वो पल अविस्मरणीय है।

जानना चाहेंगे आगे फिर कब मिला? साहब से क्या बातें हुई???

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