शुक्रवार, 31 दिसंबर 2021
अमलेश्वर और मेरे सपने ...💐
गुरुवार, 30 दिसंबर 2021
साहब के प्रतिनिधि का आगमन ...💐
शनिवार, 25 दिसंबर 2021
साहब का शुक्रिया ...💐
मन का मैल ...💐
साहब की हर बात से प्यार ...💐
जब जब उनकी याद आती है रो लेता हूँ। कभी कभी जी करता है सबकुछ छोड़कर उनके पास चले जाऊँ, उनके करीब चले जाऊँ। उनके नाम जीवन की रजिस्ट्री करा दूँ। जो लोग साहब के करीब रहते हैं, साथ रहते हैं, उनके माध्यम से अंदर की छन छनकर खबरें सुनने को मिलती रहती है।
अंदर के कई लोग साहब की खूब बुराई करते हैं। कहते हैं साहब तो सुबह 11-12 बजे सोकर उठते हैं, बहुत गुस्सा करते हैं। गुस्सा ऐसा होता है कि लोगों को सुशु आ जाए। वो कोई संत वंत नहीं हैं।
तो कई ऐसे भी लोग हैं जो अपना जीवन धन्य मानते हैं की उनका जीवन साहब की सेवा में, संतो की सेवा में, और जनकल्याण में गुजर रहा है।
जब कभी कोई साहब की दिनचर्या में शामिल लोग/करीबी लोग मिलते हैं तो साहब की ही चर्चा निकलती है। लगता है कि वो साहब की दिनचर्या की हर बात बताए, उनकी हर बात सुनते रहूं, सुनते रहूं, सुनते ही रहूँ।
मुझे साहब की हर बात से प्यार है। उनकी आलोचना से भी और उनकी प्रशंसा से भी।
साहब की खोज ...💐
शुक्रवार, 24 दिसंबर 2021
साहब के लिए जुनून ...💐
अक्सर नाम सुमिरण की बात आने पर कुछ लोग कहते हैं कि साहब के दर्शन कर लिए, प्रसाद ग्रहण कर लिए, गुरु महिमा और संध्यापाठ कर लिए तो सुमिरण की क्या आवश्यकता है। बाकी का समय तो दैनिक कार्यों को निपटाने का होता है, जिम्मेदारियों को निभाने का होता है।
वहीं कुछ लोग यह भी कहते हैं कि नाम सुमिरण दिनभर नहीं हो पाता, हर स्वांस में नहीं हो पाता, बीच बीच में छूट जाता है, मन बीच बीच में कहीं भटक जाता है। इस विषय पर लोगों की अलग अलग मान्यताएं हैं।
दरअसल साहब के नाम का सुमिरण भी एक तरह की आध्यात्मिक पढाई ही है। इसमें कोई एक सप्ताह में साहब तक पहुंच जाता है, तो कोई तीन या छै महीने में। कुछ लोगों को तो तत्क्षण साहब मिल जाते हैं और कुछ लोग जीवन भर साहब की खोज में यहां वहां भटकते रह जाते हैं।
सफलता के लिए जुनून की हद क्रॉस करनी होती है। "जूनून मतलब जुनून"। शरीर की क्षमताओं से आगे, इन्द्रियों की क्षमताओं से आगे... जहाँ जाकर सबकुछ खो जाता है, खुद का अस्तित्व मिट जाता है... साधक भी। केवल साध्य रह जाता है।
तब नजरों के सामने एक नई दुनिया प्रगट होती है, नए संगीत की धुन सुनाई देती है। साहब उस नई दुनिया को देखने के लिए दिव्य आंखें प्रदान करते हैं, और नए संगीत को सुनने के लिए दिव्य कान। तब चारों पहर हुजूर नजरों के सामने होते हैं। जीवन के सारे प्रश्नों के उत्तर मिल जाते हैं। निशांत... निर्विकार... निःशब्द...बोध... जीवन की पूर्णता।
गुरुवार, 23 दिसंबर 2021
साहब क्यों मिलें ...💐
बुधवार, 22 दिसंबर 2021
बंदगी के काबिल ...💐
जो लोग साहब को सामान्य मानव समझते हैं, ताज की महत्ता से अनजान होते हैं, अक्सर वो लोग हर बात के लिए साहब को दोष देते हैं। वो ये नहीं जानते कि साहब का हर एक पल बेहद कीमती होता है, वो किसी एक के लिए इस धरा पर अवतरित नहीं हुए, बल्कि हरेक जीव की चिंता उन्हें होती है। उनके लिए सब जीव बराबर होते हैं, फिर क्या अमीर और क्या गरीब।
कोई साहब के हाथ से प्रसाद नहीं मिल पाने पर रुष्ट होता है, तो कोई भारी जनसैलाब के बीच बंदगी नहीं मिलने पर रुष्ट हो जाता है। वहीं कुछ लोग इसलिए नाराज हो जाते हैं कि साहब ने कार्यक्रम के लिए समय नहीं दिया। तो कुछ लोग साहब की चेतावनी भरी वाणी से नाराज हो जाते हैं, चटक जाते हैं।
कुछ लोग छोटे साहब-बड़े साहब के रूप में साहब में भेद मानते हैं, और बंदगी करना, उनके हाथ से प्रसाद, पान परवाना लेना तक उचित नहीं समझते। जबकि साहब और साहब के परिवार का हर सदस्य हमारे लिए परमात्मा के स्वरूप हैं। उनके बीच कोई अंतर नहीं।
दरअसल जो घनघोर अहंकार से ग्रसित होता है, और जो साहब को सामान्य मानव समझने की भूल करता है, वही लोग ऐसी मानसिकता के साथ जीते हैं। जबकि साहब के सच्चे भक्त तो साहब के सुमिरण मात्र में ही सत्यलोक का आनंद पाते है। वह खुद बंदगी के लाइन से हटकर किसी जरूरतमंद जिसे साहब के पान परवाना की सख्त जरूरत होती है उसे लाईन में आगे बढ़ा देता है।
यह तो हमारी खुशकिस्मती है कि उन्होंने हमें अपने चरणों में स्थान दिया, नाम दान दिया, अपने नाम के सुमिरण का अधिकार दिया। वरना हम तो उनकी बंदगी के काबिल ही नहीं हैं।
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मंगलवार, 21 दिसंबर 2021
मेरी खोज ...💐
साहब की नकल ...💐
सोमवार, 20 दिसंबर 2021
सो जा ...💐
साहब की छाँव में जी लें ...💐
रविवार, 19 दिसंबर 2021
हीरो होंडा की सवारी ...💐
याद है न...??
हीरो होंडा-SS-100 की सवारी... पतझड़ के वो मौसम... बसंत का आगमन...पलाश के चटक लाल रंग के फूल, जंगल के उबड़ खाबड़ टेढ़े मेढ़े रास्ते... सरपट निकल पड़ते थे। पानी की बोतल, टिफिन में पराठे, गोभी की सब्जी और खीर...।
रास्ते की नदी में उतरकर निर्झर स्वच्छ जल में हाथ मुंह धोया करते। वहीं कहीं पास के घने छायादार वृक्ष की ओट में तुम्हारा आँचल बिछाकर बैठे सतरंगी सपनों में शाम तक एक दूसरे की बातों में खो जाते। घने जंगलों और पेड़ों के झुरमुट के बीच से ढलते सूरज की लालिमायुक्त किरणें कितनी लुभावनी हुआ करती, शाम कितनी मनमोहक हुआ करती।
आज पलाश के वो फूल फिर खिलें हैं, बसंत का मौसम फिर लौट आया है, घर में पराठे, खीर और गोभी की सब्जी फिर से बनी है। बस तुम्हारी कमी रह गई है। तुम्हें याद है न...???
मेरे गुलाबी शब्द पढ़ने के लिए तुम नहीं हो, कहीं भी नहीं हो। फिर भी तुम्हें लिखता हूँ...
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सोमवार, 13 दिसंबर 2021
प्रार्थना ...💐
रविवार, 12 दिसंबर 2021
गुरु और शिष्य की मर्यादा ...💐
शनिवार, 11 दिसंबर 2021
मर्यादा...💐
नारियल की चोरी ...💐
मंगलवार, 7 दिसंबर 2021
साहब से मिलन की आस...💐
सोमवार, 6 दिसंबर 2021
चौका आरती...💐
किरण दीदी की विदाई ...💐
मेरी तन्हाई 💐💐💐
तन्हाई केवल एक एहसास नहीं, बल्कि एक ऐसी गहरी दुनिया है जहाँ कोई और नहीं, बस आप और आपकी सोच होती है। यह एक खाली कमरा नहीं, बल्कि एक भरी हुई क...
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सुख और दुख हमारे जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है। जैसे चलने के दायां और बायां पैर जरूरी है, काम करने के लिए दायां और बायां हाथ जरूरी है, चबाने ...
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जो तू चाहे मुझको, छोड़ सकल की आस। मुझ ही जैसा होय रहो, सब सुख तेरे पास।। कुछ दिनों से साहब की उपरोक्त वाणी मन में घूम रही थी। सोचा उनके जैस...
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पान परवाने का मोल तब समझा जब जिंदगी तबाह होने के कगार पर थी, साँसे उखड़ने को थी। जीवन के उस मुहाने पर सबकुछ दांव पर लगा था, एक एक पल युगों के...