शनिवार, 25 दिसंबर 2021

मन का मैल ...💐

सबके हृदय में साहब से कहने के लिए कुछ न कुछ होता है। हर कोई अपने दिल की बात उनसे कह देना चाहता है। कोई उनसे मिलकर जुबान से अपने भाव व्यक्त करता है, कोई उनके चरणों मे आंसुओं के माध्यम से अपना प्रेम अर्पित करता है। कोई फेसबुक टेग के माध्यम से उन्हें बंदगी कहता है, तो कोई अपनी संवेदनाओं को दिल में ही छुपाए हुए ही दुनिया से कुच कर जाता है।

जी तो चाहता है मैं भी इसी जन्म में उनके साथ एक सेल्फी ले लूं, लेकिन हिम्मत नहीं होती। जब भी उनकी बंदगी को जाता हूँ, खुद के भीतर ध्यान जाता है। भीतर नजर जाते ही जन्मों का मैल नजर आता है, अस्तित्व पर फैली गंदगी नजर आती है। शर्म से आंखे झुक जाती है, उनके सामने आने में ही झिझक होती है, चेहरा छुपा लेता हूँ, वापिस लौट आता हूँ। बरसों बीत गए लेकिन मन का मैल आज भी ज्यों का त्यों है।

अगर किसी दिन पूछ लिए कि दीक्षा देते समय जो नाम दान दिया था उसका क्या हुआ? सुमिरण की गाड़ी कहाँ तक आगे पहुँची? तो मेरे पास कोई जवाब नहीं होगा। दोस्तों, मैं साहब से नजरें मिलाकर उनके सामने खड़े नहीं हो सकता। उनकी कोई भी बात, कोई भी वाणी उनके कहे अनुरूप जी नहीं सका।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...