सोमवार, 6 दिसंबर 2021

चौका आरती...💐

लम्बी प्रतीक्षा और सौभाग्य से आज मेरे घर चौका आरती हुआ। मेरी कुटिया में साहब, संतजन, मेहमान और रिश्तेदारों का आगमन हुआ। आज मेरा हृदय साहब की भीनी खुशबू से महक रहा है, मेरे आसपास का वातावरण साहबमय हो उठा है। खुशी के आँसुओ से नयन छलक रहे है।

न मैं नारियल भेंट करना जानता, न साहब की बंदगी करना जानता, न ही संतों का आवभगत जानता। बस टूटी फूटी, विकारों से भरे मन से साहब की बंदगी कर ली और प्रसाद ग्रहण कर लिया। लेकिन मेरी बंदगी साहब तक जरूर पहुंची होगी, वो भी मेरा ध्यान किए होंगे, मुझे निहारे होंगे।

हर कबीरपंथी का सपना होता है कि उसके जीते जी घर में कम से कम एक बार साहब का आगमन हो, साहब की भेंट बंदगी हो, साहब के करकमलों से चौका हो। ऐसा ही मेरा भी सपना है, लेकिन मैले मन से साहब को निवेदन करने में संकोच होता है।

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