शरीर के रहते तक कमाना खाना, मिलना बिछुड़ना तो लगे ही रहना है। हंसी खुशी और खेल खेल में फेसबुक के माध्यम से साहब मिल गए, उनसे दो बातें हो जाती हैं, उन्हें कभी शब्दों में तो कभी निःशब्द महसूस कर पाता हूँ। भला जीवन से और क्या चाहिए। साहब के मिलते ही जीवन पूर्ण हो गया, जीवन का उद्देश्य पूर्ण हो गया।
किसी चीज का मलाल नहीं है, हृदय में गहरा संतोष है, सुकून है। वो लोग जो जीवन पथ पर मिले, प्यार भरी बातें कही, स्नेह दिया, अपनी छांव में जगह दी। शुक्रिया कहना चाहता हूँ, मेरी बाँहे फैली है उनके लिए।
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