शुक्रवार, 17 अगस्त 2018

अनंत की यात्रा...💐

अनंत की यात्रा पर निकले इंसान को पहले पहल अनंत की बातें कठिन लगती हैं। फिर धीरे-धीरे जब उसका असली ज्ञान के साथ तारतम्य जुड़ने लगता है तब वह आगे का सत्य सुनने और समझने को तैयार होता है। फिर ऐसा दौर आता है कि उसे सत्यरूपी ज्ञान पूर्णतः समझ में आ जाता है।

एक महत्वपूर्ण पड़ाव पार करने के बाद अगर खोजी वहीं रुक जाए, और समझे की आगे का ज्ञान मुझे मालूम है, अब मुझे और आगे बढ़ने की आवश्यकता नहीं है, तो उसकी यात्रा मंज़िल पाने से पहले ही बंद हो जाती है। तब इंसान को सजगता रखनी चाहिए ताकि सत्य की यात्रा कभी भी बंद न हो। वो अनंत है, विराट है, अथाह है...

जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ,
मैं बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठ।

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