शुक्रवार, 17 अगस्त 2018

खुद के वजूद का अहसास...💐

मनुष्य संसार की समस्याओं के थपेड़ों से परेशान हो कर आन्तरिक शांति और वास्तविक सुख के लिए कभी न कभी आध्यात्मिकता की ओर आशा भरी नजरों देखता ही हैं। संसार में अनेक प्रकार की समस्याओं से, दुखों से, पीड़ाओ से, बाधाओं से प्रताड़ित होकर उन सबसे छुट्कारा पाने के लिए अनगिनत उपायों को करने के पश्चात् जब हमें निश्चय हो जाता है कि इन सब उपायों से वास्तविक समाधान होने वाला नहीं है तब वह किसी ऐसे उपाय का अन्वेषण करने में लग जाता हैं जहाँ नितान्त शान्ति हो।

जीवन की तकलीफें, समस्याएं व्यक्ति को भीतर से तोड़ देती है और बाहरी जगत से समस्याओं का हल नहीं मिलता। वह हताश, निराश अदृश्य सत्ता को तड़पकर पुकारता है। उस पुकार में उसकी जीवनी शक्ति शामिल हो जाती है, तब उसे प्रश्नों और समस्याओं का हल मिलता है, गहरी अनुभूति मिलती, सुकून और शांति मिलती है, परम् सत्ता का बोध होता है, खुद के वजूद का अहसास होता है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...