कोई तो है उस झीने आवरण के पीछे, जो आवाज देता है, पुकारता है, जगाता है, राह दिखाता है, हल्के से मधुर स्पर्श के साथ अपने आगोश में ले लेता है। कुछ तो ऐसा है जो शब्दों और भावों से भी अछूता है। कोई तो है जो अब तक अनकहा सा है, अनसुना सा है। उस आवरण की चादर जिंदगी पर फैली हुई सी है।
कुछ मीठी सी बात है, कुछ दर्द भी है, कुछ बेचैनी है, कुछ मदहोशी है, कुछ ख़ामोशी भरा गीत है, कोलाहल के बीच भी अनोखा सुकून है, सांसो के अनवरत गीत का अजब संतुलन है।
(Lekhraj Sahu)
lekhrajsahebg@gmail.com
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