गुरुवार, 8 फ़रवरी 2018

अनुत्तरित प्रश्न...

गर्मियों की चाँदनी रातों में अक्सर आँगन में लेटे हुए गहरे आसमान की ओर ताकता और ओरछोर नापने की कोशिश करता। टिमटिमाते सितारों को जोड़कर अजीब अजीब सी आकृतियाँ बनाता, सोचता जब धरती गोल है और घूम रही है तो हम गिरते क्यों नही? धरती और आकाश की रचना करने वाला आखिर कौन है? रहता कहाँ है? न जाने क्यों गहरे काले आसमान में वो देवी देवताओं और साहब के पदचिन्ह खोजा करता।
पतली चादर में दुबके कनखियों से चारों ओर देखता, कहता कि आज वो आएगा तो उसे देख ही लेगा कि वो कौन है जो रात को दिन और दिन को रात बनाता है? वो रातभर अपने आँगन से चांद का पीछा किया करता।
कल वो अपने दादा से दिन और रात बनाने वाले का पता पूछता था, आज उसकी बेटी दिन और रात बनाने वाले का पता उससे पूछती है। प्रश्न का उत्तर न कल था और न आज है, कई प्रश्न अनुत्तरित हैं...
(Lekhraj Sahu)
lekhrajsahebg@gmail.com

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