जिस रास्ते पर आना जाना छोड़ देते हैं, वहां कटीली झाड़ियां उग आती हैं। धीरे धीरे वह रास्ता खो जाता है, और आने जाने वालों को पता ही नहीं चलता कि वहां कभी कोई रास्ता भी हुआ करता था। उसके विपरीत जिस रास्ते पर हम रोज आते जाते रहते हैं वह स्वतः ही बड़ा और चौड़ा हो जाता है।
चूंकि हम उस रास्ते पर कभी कभी ही चलते हैं, इसलिए उस रास्ते पर कटीली झाड़ियां उग आई हैं। हमें हर रोज उस रास्ते पर चलना होगा, हर रोज रास्ते को और बड़ा, और चौड़ा बनाना होगा। हमें समय समय पर कटीली झाड़ियों के विरुद्ध औजार लेकर खड़े होना होगा, उन्हें रास्ते से हटाते रहना होगा, ताकि हमारा मार्ग सुगम्य बना रहे और हमारे पाँव में कोई कांटा न चुभे।
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