सोमवार, 19 फ़रवरी 2018

साहब की सहजता...💐

जिंदगी की राह बड़ी कठिन है। यहाँ हर चीज, हर बात के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ता है। जिंदगी में सहज और सुलभ कुछ भी नही होता। अध्यात्म की राह बहुत ज्यादा कठिन और दुर्गम कहा जाता है। इस राह दैहिक, दैविक और भौतिक दुखों से बचने के उपाय खोजते हुए लोग, हारे हुए लोग चले आते हैं, मोक्ष की इच्छा लिए मुमुक्षु भी आते हैं।
चार पलों की जिंदगी, किसी सपने की तरह है। जो चाहिए वो मिलता नही, जो मिलता है उसकी जरूरत नही। कोई सबकुछ पाने को बेताब, तो कोई सबकुछ लुटाने को तैयार। वर्तमान से कोई खुश नही।
साहब का सहजता का नियम ऐसे में बड़ा काम आता है, सबको जीवन में सहज होकर रहना, सहज होकर जीना सिखाता है। सहजता को व्यवहार में धारण करने से जीवन में संतोष, धैर्य और सुकून बढ़ता है, शान्ति का बोध होता है, व्यवहार में संयमितता आती है, समर्पण का भाव आता है, मनोबल बढ़ता है, स्वीकार करने का भाव जागृत होता है। व्यग्रता, चिंता, बेचैनी, डिप्रेशन, अनिद्रा, तनाव आदि का अंत होता है तथा विपरीत परिस्थितियों से शान्तिपूर्ण ढंग से निपटने में सहायता मिलती है। दिनभर मन प्रफुल्लित और उत्साहित रहता है। साहब कहते हैं:-
संतो सहज समाधि भली... आंख न मूंदुं कान न रून्धु, काया कष्ट न धारूँ,
खुले नैन हस हस कर देखूं, सुन्दर रूप निहारूं।
कहूँ सो नाम सुनु सो सुमिरन, जो कुछ करूँ सो सेवा,
जब सोवूं तब करूँ दंडवत, पूजूं और न देवा।
शब्द निरंतर मनुआ लागा, मलिन वासना त्यागी,
सोवत जागत उठत बैठत, ऐसी तारी लागी।
संतो सहज समाधि भली...

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...