मंगलवार, 15 फ़रवरी 2022

टेंशन...💐

विगत दिनों मुझे एक परम् आदरणीय महंत साहब का फोन आया। कह रहे थे- "तुम्हारा फेसबुक और ब्लॉग पेज पढ़ा, अच्छा नहीं लिखते, लेख में साहब के लिए मर्यादा नहीं रखते, इसलिए तुम्हें ब्लॉक और रिपोर्ट कर दिया हूँ।"

इस तरह की बातें तो होती ही रहती है। लोग मेरे बारे में क्या सोचते हैं, क्या कहते हैं, इसकी परवाह करता, तो आज जीवन में साहब नहीं होते। अपने परिजनों की, मित्रों की, रीति रिवाजों की, सीमाओं और समाज की परवाह करता तो आज जीवन में साहब नहीं होते।

अगर मुझे फेसबुक पर ब्लॉक और रिपोर्ट करोगे, मेरा एकाउंट बंद करवाओगे तो मैं साहब के लिए अपने हृदय के भाव पेन और कागज पर लिखकर उन्हें पोस्ट ऑफिस के माध्यम से दामाखेड़ा भेजूँगा। लेकिन अब उनका गुणगाण बंद नहीं कर सकता। अगर अपने हृदय की बात, भाव उन्हें नहीं कह पाया तो पागल हो जाऊँगा।

इसलिए हे आदरणीय महंत साहब, मैं आपके चरणों में बंदगी करते हुए, आपकी मर्यादा को भी लांघते हुए आपसे कहना चाहता हूँ - "भाँड़ में जाओ, आपकी परवाह नहीं मुझे।" 

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