रविवार, 24 मार्च 2019

उलझन...💐

किन उलझनों में उलझा है? क्यों बीच पथ पर ठहर गया है? किसका प्रतीक्षा है, किस ओर उम्मीदों से निहार रहा है? तू कल भी अकेले चला था और आज भी अकेले ही उस मार्ग पर चलना है। क्यों किसी साथ की अपेक्षा करता है? साहब के अलावा कोई नहीं आएगा राह दिखाने, कोई नहीं आएगा बांह थामने। तू जरा हिम्मत तो कर, तू जरा दृढ़ता पूर्वक कदम तो बढ़ा।

सांसे उखड़ती तो उखड़ने दो, आंसू बहते हैं तो बहने दो, कुछ टुटता है तो टूटने दो, कोई छूटता है तो छूटने दो। बस थोड़ी दूर और, हिम्मत तो कर, बस कुछ कदम और चल। तू उनकी उंगली पकड़े आगे बढ़ता चल।

रास्ता बड़ा दुर्गम है, रास्ते में बीहड़ है, घुप्प अंधेरा है। लेकिन इस अंधियारे की भी एक दिन सुबह होगी, उजाला होगा, रोशनी होगी, भोर होगा। वो मिलेंगे, जरूर मिलेंगे। और जब वो मिलेंगे तब जीभरकर उनकी गोद में सिर रखकर रो लेना, सारी शिकायतें कह सुनाना..💐

2 टिप्‍पणियां:

  1. तुमने अपना मार्ग स्वयं न्रिमित किया है
    तुमने मेरी जीवन की दुख शोक से टकराते हुई जीवन धारा को उन तक पहुंचाया जिसकी मुझे तलाश थी
    आपके पावन चरनो मे सप्रेम साहैब बंदगी साहैब 🙏💐
    तुम्हारे हिर्दय भाव मे मुझे खुद का एहसास होता है उनका पता मिलता है मुझे लगता है
    ईस समय युवा पीढी को सही मार्ग दर्शन की आवशयकता है
    आपके भाव उचित है

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    1. धन्यवाद आपके भावपूर्ण कमेंट के लिए 💐

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साधना काल 💕

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