मंगलवार, 15 फ़रवरी 2022

माघी पूर्णिमा 2022 और पंथ श्री हुजूर गृन्धमुनि नाम साहब...💐

आज माघ पूर्णिमा है। मेरी माँ और बुआ गाँव से मेरे घर रायपुर आई हुई हैं। कल शाम को लगभग दो घंटे माँ, बुआ, मेरी पत्नी और मैं घर-परिवार की चर्चा कर रहे थे। घरेलू चर्चा कब सत्संग में बदल गया, कुछ पता ही नहीं चला। चर्चा के दौरान पंथ श्री हुजूर गृन्धमुनि नाम साहब की याद आ गई। उनकी लीलाओं के बारे में माँ और बुआ बताते रहे, लगता था कि वो बताते ही रहें और मैं सुनता ही रहूँ।

जो पंथ श्री हुजूर गृन्धमुनि नाम साहब के समकालीन साहब के भक्त रहें हैं, जिन्होंने साहब से कंठी बंधवाई, उनसे पान परवाना लिया, उनका सानिध्य पाया, उनका दिव्य स्पर्श पाया, वो लोग कुछ और ही दर्जे के हैं, साहब के प्रति उनकी भक्ति बहुत ऊंचे लेवल की होती है, अधिकतर वो लोग साहब के सच्चे प्रेमी होते हैं। साहब के प्रति उनकी दीवानगी दिखती है, उनके हृदय में साहब के लिए एक निर्मल, दिव्य और सुगंधित प्रेम की धार बहती है।

साहब की लीलाओं का लिखकर वर्णन करने में इतना आनंद नहीं आता जितना उनके बारे में सुनकर आता है। जब कोई पंथ श्री हुजूर गृन्धमुनि नाम साहब की चर्चा करता है तो सुनने वाले लोग भावावेश, प्रेमवश रो पड़ते हैं। कुछ ऐसा ही हाल मेरा भी हुआ। साहब के व्यक्तित्व में, साहब की वाणियों में अजीब आकर्षण था, स्निग्धता थी, मधुरता थी, कोमलता थी। आज उनकी कमी अखरती है, लेकिन वो हमारे हृदय में वंश ब्यालिस और गुरु गोस्वामी साहब के रूप में सदैव रहेंगे।

मैं सौभाग्यशाली हूँ, जो उनके पावन चरण कमलों में माथा रखने का अवसर पा सका।

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