बहुत पहले की बात है। एक दिन परम् आदरणीय महंत दीपक साहेब जी से कबीरपंथ में पान परवाना की महिमा के संबंध में चर्चा हो रही थी। उन्होंने चर्चा के दौरान पान परवाना की महत्ता बताई थी। आज वो प्रसंग याद आ गया। साहब से प्राप्त पान परवाना हमारे लिए अमृत तुल्य तो है ही, साथ ही साथ दैनिक जीवन की अनेक समस्याओं का हल भी है, जो बिंदुवार निम्न हैं-
1 पान खाने का प्रमुख कारण और लाभ यह है कि इसे खाने से पाचन क्रिया बेहतर होती है, क्योंकि इसे चबाते वक्त बनने वाला सलाइवा अधिक मात्रा में बनता है, जो भोजन के पाचन में अहम भूमिका निभाता है।
2 पान का पत्ता, खांसी और कफ की समस्या में लाभकारी साबित होता है। इन पत्तों को पानी में उबालकर उसे पीने से कफ नहीं होता और खांसी भी दूर होती है।
3 शारीरिक दुर्गंध को दूर करने के लिए पान का उपयोग किया जा सकता है, यह काफी प्रभावी उपाय है। 2 कप पानी में पान के 5 पत्तों को उबालें और जब यह आधा रह जाए तब इसे पिएं। इससे शारीरिक गंध दूर होगी।
4 जले हुए स्थान पर पान के पत्तों को पीसकर बनाया गया लेप लगाकर कुछ देर छोड़ दें, फिर इसे साफ कर इसमें शहद लगाने से लाभ होता है और त्वचा जल्दी ठीक होती है।
5 मुंह व मसूड़ों से खून खाने की स्थिति में पान के पत्ते में लगभग 10 ग्राम कपूर डालकर इसे चबाने से फायदा होता है। इसके अलावा श्वास की दुर्गंध के लिए भी पान बेमिसाल है।
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