रोना इसलिए आता है क्योंकि उन दृश्यों में कभी किसी करीबी की मृत्यु दिखती है, तो कभी किसी की कराहने की आवाज होती है, मुझसे जुड़े लोगों की तकलीफें होती है, मेरे खुद की जिंदगी से जुड़े दृश्य होते हैं। कई दृश्य और आवाजें तो जानवरों की भी होती है, जो मेरे आसपास मौजूद होते हैं।
चूँकि इन अनुभूतियों का संबंध मेरे अथवा मेरे अपनों से होता है इसलिए उन ध्वनियों और दृष्यों को अपने दिल से लगा बैठता हूँ, इसमें बह जाता हूँ। और हंसी यह देखकर आती है कि लोग व्यर्थ ही फालतू के, बिना मतलब के, तुच्छ और निपट कर्मों में लिप्त होकर अपना मानुष जनम गवां रहे हैं।
साहब मुझे जिस शिखर की उस ऊँचाई से दुनिया दिखाते हैं, जिस शिखर की बात बताते हैं, दरअसल मैं इस योग्य ही नहीं हूं। मैं साहब की असीम दया पाने के काबिल ही नहीं हूं, उनकी इतनी दया का पात्र ही नहीं हूँ। मैं ठहरा उनका घोर कलयुगी भक्त, लेकिन न जाने क्यों वो मुझ पर अपना प्यार बरसाते हैं।
💐💐💐
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें