गुरुवार, 20 जून 2019

खुशनुमा यादें...💐

चिलचिलाती गर्मी, बारिश की फुहारें, हड्डियां जमाने वाली ठंड, बसंत की बहार, शीत और ओस की बूंदे... न जाने कितनी ऋतुएँ आई और चली गई। हमनें हर ऋतुओं का लुत्फ़ उठाया, पल-पल को जिया।

महानदी के किनारे सुरम्य वादियों में दिन बिताए, सड़क किनारे ठेले में चाय की चुस्कियों का आनंद लिया, एक दूसरे के हाथों में हाथ लिए जंगलों की हरियाली देखी, खेतों के हरे भरे सुरम्य दृश्य देखे, चाँदनी रात में तारों से बातें की। जिंदगी लहकते फूलों की पगडंडियों से होकर गुजरती रही और समय पंख लगाकर उड़ गया।

जीवन में उसके आने से खालीपन भर गया, सूनापन भर गया। जैसे किसी ने नितांत खामोशी के बीच मधुर बाँसुरी बजा दी हो। वक्त का पता ही नहीं चला, लगता है ये तो कल की ही बात है। आज जब पीछे मुड़कर देखता हूँ तो पाता हूँ कि उन मधुर और दिलकश लम्हों में एक पूरा जीवन जी लिया।

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