रविवार, 2 जनवरी 2022

सूनापन ...💐

सिर छुपाने लायक घर है, आज्ञाकारी बच्चे हैं, मुझसे प्यार करने वाली और मुझे अपने हृदय में स्थान देने वाली पत्नी है, जिंदगी के उबड़ खाबड़ रास्तों में आने वाली मुसीबतों में मार्गदर्शन करने वाले माता पिता और सास ससुर हैं, मित्रवत मेरे दो भाई हैं। जीवन चलाने लायक छोटी सी नौकरी जो आय का जरिया है। मोबाइल है, टीवी है, मोटरसाइकिल है। जीवन को चलाने के लिए जितनी भी भौतिक वस्तुओं की आवश्यकता होती है, वो सब है।

लेकिन कुछ तो ऐसा है जो मेरे पास नहीं है, कुछ तो ऐसा है जिसकी कमी मुझे शिद्दत से महसूस होती है। सबकुछ होने के बाद भी जीवन में एक खालीपन, सूनापन और एक रिक्तता का बोध पाता हूँ। क्यों? इसका कारण क्या है? और इसका जिम्मेदार कौन है?

ये मैं बचपन से ही महसूस करता रहा हूँ। एक दर्द है, जिसकी वजह खुद मुझे नहीं पता, एक खोज है, अतृप्त प्यास है। कुछ तो ऐसा है जो मुझे जीने नहीं देता है, हंसने और मुस्कुराने की वजहें नहीं देता। क्या कोई मेरे जैसा खालीपन, सूनापन, दर्द और उदासियों में जीता है? कोई हो तो मुझे भी बताएं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

साधना काल 💕

सन 2007 की बात है, नवरात्रि चल रही थी। मैने किसी से सुना था की नवरात्रि में साधक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साधनाएं सफल होती है। मैने सोचा...