रविवार, 2 जनवरी 2022

मेरे हुजूर पंथ श्री गृन्धमुनि नाम साहब ...💐

मुझे ठीक से याद नहीं है, लेकिन शायद सन 1984 या 1985 की बात है, तब मैं 4 या 5 वर्ष का था। हमारे गाँव कारी, जिला बलौदाबाजार (छ.ग.) में पंथ श्री गृन्धमुनि नाम साहब का आगमन हुआ था। तब गांव में बिजली नहीं हुआ करती थी, न ही लाउडस्पीकर, और कैरोसिन वाली लालटेन जलाकर सभा स्थल पर रौशनी की गई थी। जाड़े का मौसम था, लोग जमीन पर धान के पैरा बिछाकर और चादर ओढ़कर बैठे थे। मैं भी बहुत खुश था कि साहब हमारे गाँव आएं हैं, और अपने दादा की गोद में वहां मौजूद था।

साहब ने सभा स्थल में क्या कहा, मुझे नहीं पता। लेकिन उस एक पल की हल्की सी धुंधली तस्वीर है। मंच स्थल पर साहब किसी खड़े हुए व्यक्ति से कुछ बात कर रहे थे। मैं जब बड़ा हुआ तब दादाजी ने उस घटना का विवरण मुझे बताया कि करीब शाम के 7 बजे पंथ श्री गृन्धमुनि नाम साहब का मंच पर आगमन हुआ। "उस वार्तालाप को हुबहू शब्दों में नहीं कह पा रहा हूँ, इसलिए उसका सार लिख रहा हूँ।"

उस मंच से साहब ने प्रश्न करते हुए कहा था कि "दुनिया में विरले लोग ही हैं जो परमात्मा को जीते हैं। कौन है जिसे साहब की प्यास है? कोई है?" तब गाँव के एक व्यक्ति ने खड़े होकर साहब से कहा की मुझे परमात्मा दिखा दीजिए। तब साहब ने कहा था चलो मेरे साथ तुम्हें परमात्मा से मिलवाता हूँ। लेकिन पागल हो जाओगे तो मुझे दोष मत देना। जो भी परमात्मा से मिलना चाहता हो, चलो मेरे साथ। यह सुनकर सभा स्थल में सन्नाटा छा गया। वह व्यक्ति सकपका गया, घबरा गया, और अपनी जगह बैठ गया। गांव का कोई भी व्यक्ति साहब के साथ चलने को तैयार नहीं हुआ। 

दादाजी से पंथ श्री गृन्धमुनि नाम साहब की ऐसी कहानियां, उनकी अनेकों लीलाएँ सुनते हुए बड़ा हुआ हूँ। इसलिए उनके प्रति गहरा जुड़ाव है, उन्हें शिद्दत से याद करता हूँ।

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