रविवार, 2 फ़रवरी 2020

उससे कहना...💐

जब तुम वहाँ जाओगे... 
एक साँवली सी लड़की मिलेगी, जो हर साल अक्सर गर्मियों में आया करती थी। बहुत बोलती थी... शुरू होती तो खत्म ही नहीं होती थी। अपने घर के चौरा में बैठकर क्रिकेट खेलते लड़कों को देखकर कमेन्ट्री किया करती। 

जब तुम वहाँ जाओगे...
एक साँवली सी लड़की मिलेगी, जो पहली बार जब गाँव आई तो सफेद और जामुनिया रंग के लिबास में नजर आई थी। किसी स्कूटर की आवाज से समझ आ जाता था कि गाँव पहुंच चुकी है। गांव की हवाओं में उसकी मदमस्त खुशबू बिखर जाती, नजरें उसे ढूंढने लगती।

जब तुम वहाँ जाओगे...
एक साँवली सी लड़की मिलेगी, जिससे मन कुछ यूं बंध गया कि उसी में अपने जीवन का अक्स पाया करता, उसमें ही डूब जाया करता। धीमे धीमे जिंदगी उसकी ओर बढ़ चली थी। न जाने कब जीने का मकसद वो ही बन गई। उससे लगाव हो गया, प्यार हो गया।

जब तुम वहाँ जाओगे...
एक साँवली सी लड़की मिलेगी, तालाब के किनारे के सदियों पुराने पीपल पेड़ के पत्ते बरसों बाद भी उसकी छुअन महसूस करते हैं। उसके आने की आहट से आज भी सरसरा उठते हैं। पास में एक बाड़ी भी है, जहां लड़कपन में उसके होंठों ने मेरे गाल और माथे को चूमा था।

जब तुम वहाँ जाओगे...
एक साँवली सी लड़की मिलेगी, जर्रे जर्रे को उनके बीते हुए मनमोहक यादों से सना पाओगे, जमीन के कण कण में उनके खुशनुमा और सदाहरित प्रेम के निःशब्द पदचिन्ह पाओगे। उनके रंगीन और प्यार भरे लम्हों की दास्तान लोग आज भी दुहराते हैं। किसी पेड़ पर दोनों के नाम दिल बनाकर किसी ने उकेरे हुए हैं, जो बरसों बाद भी ज्यूँ का त्युं गुदा हुआ है।

जब वहाँ जाओगे...
एक साँवली सी लड़की मिलेगी, कहना उससे- वो आज भी कागज के रंगीन पन्नों को दिल की गहराइयों में लिए जी रहा है, उन यादों को आज भी वह सहेज रखा है। वो न होती तो जीवन की इतनी समझ नहीं होती, प्रेम का बोध न होता, जीवन अधूरा ही छूट जाता, कमी रह जाती। उसके होने से ही इस जीवन की पूर्णता है। 

जब वहाँ जाओगे...
साँवली सी लड़की मिलेगी, कहना उसे- मोगरे के फूल उसे अब भी बहुत पसंद है... और खीर भी।

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