बुधवार, 31 जुलाई 2019

बंदगी की तैयारी...💐

उनके दर्शन और बंदगी की तैयारियाँ कई दिनों पहले ही शुरू हो जाती है। मन को खींच खींचकर उनके अनुपम छवि पर सतत टिकाए रखने की कोशिशें शुरू हो जाती हैं। विकेन्द्रित साँसों को उनके गीत पर केंद्रित करने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है।

समय पल पल गुजरता जाता है, उनकी अनुपम छवि निहारने की बेला और करीब आती जाती है। नारियल, पान, सुपारी हाथों में लिए उस घड़ी की प्रतीक्षा होती है जब उनके चरणों में माथा टेककर जिंदगी की सारी उर्जा उनमें विलीन कर दें।

लेकिन महीनों की तैयारियां और सारे नाम पान तब निर्रथक हो जाते हैं जब हजारों लाखों की भीड़ में बंदगी के लिए लाइन में लगे हों और कोई सर्किट मित्र, कोई बातूनी रिश्तेदार अथवा कोई महाज्ञानी मिल जाता है। ये लोग बड़ी देर तक ऐसा दिमाग चाटते हैं, ऐसा प्रवचन देते हैं कि सारी भक्ति भावना धरी की धरी रह जाती है। और या तो साहब के चरणों तक पहुंच ही नहीं पाते, लाइन छोड़ देते हैं, अथवा साहब तक पहुँचते पहुँचते दिग्भ्रमित हो जाते हैं। तब तो साहब के चरणों तक गुस्सा, अहंकार, चिढ़, कुंठा ही पहुंच पाता है।

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