मंगलवार, 9 अक्तूबर 2018

निःशब्द...💐

कहते हैं कबीरपंथ में निःशब्द ही सबकुछ देने की परंपरा रही है। पंथ श्री गृन्धमुनि नाम साहब ने पंथ श्री प्रकाशमुनि नाम साहब और डॉ. भानुप्रताप गोस्वामी साहब को गद्दी पर बिठाते हुए निःशब्द ही अपनी सारी संपदा और निधियाँ सौंपी थी।

इसी तरह वंश गुरुओं के धरती पर अवतरण के साथ ही सद्गुरु कबीर साहब का अंश, उनका आशीर्वाद, उनका अधिकार, वचन अनुसार निःशब्द रूप में ही पीढ़ी दर पीढ़ी और उत्तराधिकार के रूप में उन्हें प्राप्त होता है, उनमें प्रवाहित होता है।

ठीक उसी तरह वंशाचार्य, साहब भी अपने शिष्यों को, भक्तों को, संतों को, दुखी जीवों को उनकी सत्यनिष्ठ हृदय की पुकार पर तीन लोक की संपदा और निधियाँ निःशब्द रूप में सहज ही प्रदान कर देते हैं।

साहब का यह निःशब्द आशीर्वाद हमें प्रसाद, चरणामृत, सत्संग, नाम स्मरण, दर्शन और बंदगी के माध्यम से प्राप्त होता है, जो जीवन के कठिन परिस्थितियों में प्रस्फुटित होकर हमें मुक्ति और सदगति की ओर ले जाते हैं।

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